क्या अमेरिका के ईरान पर हमले से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं?

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क्या अमेरिका के ईरान पर हमले से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं?

सारांश

अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की संभावना है। जानिए इस घटनाक्रम से वैश्विक बाजार पर क्या असर पड़ सकता है।

Key Takeaways

  • अमेरिका का ईरान पर हमला वैश्विक तेल बाजार में तनाव बढ़ाता है।
  • कच्चे तेल की कीमतें पहले से ही 20 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं।
  • भारत की तेल आयात निर्भरता आर्थिक विकास पर असर डाल सकती है।
  • ईरान का होर्मुज स्ट्रेट पर नियंत्रण वैश्विक तेल सप्लाई में महत्वपूर्ण है।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद से वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ गया है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है। इस महीने पहले ही कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।

पिछले कारोबारी सत्र में, बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का फ्यूचर्स लगभग 77 डॉलर प्रति बैरल पर था और अब अमेरिका के मध्य पूर्व संघर्ष में हस्तक्षेप करने के कारण कच्चा तेल एक और उछाल के लिए तैयार है।

इससे मध्य पूर्व में संभावित व्यापक संघर्ष का सऊदी अरब, इराक, कुवैत और यूएई से तेल आपूर्ति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, शिपिंग पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि हूती विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला किया, तो वे जहाजों पर हमले फिर से शुरू कर देंगे।

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत आयात करता है। इस तरह की कीमतों में वृद्धि से भारत के तेल आयात बिल में वृद्धि हो सकती है और मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि हो सकती है, जिससे आर्थिक विकास को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, विदेशी मुद्रा के बड़े पैमाने पर आउटफ्लो से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी आ सकती है।

एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 मिलियन बैरल (एमबीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन करता है और लगभग 1.5 एमबीपीडी का निर्यात करता है, जिसमें चीन 80 प्रतिशत भागीदारी के साथ मुख्य आयातक है। ईरान होर्मुज स्ट्रेट के उत्तरी किनारे पर है, जहां से दुनिया में 20 एमबीपीडी से अधिक कच्चे तेल का व्यापार होता है।

होर्मुज स्ट्रेट मध्य-पूर्व में एक चोक प्वाइंट है। इस मार्ग से सऊदी अरब, यूएई आदि भी शिपिंग करते हैं और पहले भी ईरान ने इसे बंद करने की चेतावनी दी है।

Point of View

हमें अपनी ऊर्जा नीति को मजबूत करना होगा और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी चाहिए।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का कारण क्या है?
अमेरिका के ईरान पर हमले के कारण वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ा है, जिससे कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है।
भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा?
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है, इसलिए कीमतों में वृद्धि से तेल आयात बिल और मुद्रास्फीति पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
ईरान के तेल उत्पादन की मात्रा कितनी है?
ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है और लगभग 1.5 मिलियन बैरल का निर्यात करता है।