क्या राजस्थान में 41.85 लाख वोटर्स के नाम हटाने से राजनीतिक विवाद बढ़ गया है?

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क्या राजस्थान में 41.85 लाख वोटर्स के नाम हटाने से राजनीतिक विवाद बढ़ गया है?

सारांश

राजस्थान में वोटर लिस्ट से 41.85 लाख नाम हटाने के मामले ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इसे वोट चोरी की साजिश बताया है। क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा है? जानिए पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • राजस्थान में 41.85 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं।
  • कांग्रेस ने इसे वोट चोरी की साजिश कहा है।
  • डोटासरा ने आरोप लगाया है कि पक्षपातपूर्ण तरीके से वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं।
  • दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के वोटर्स सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
  • इस मामले ने राजनीतिक विवाद उत्पन्न किया है।

जयपुर, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान में वोटर लिस्ट से 41.85 लाख वोटरों के नाम हटाने के बाद राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है।

कांग्रेस ने इस प्रक्रिया को साजिश बताते हुए चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलकर चुनिंदा वोटरों के नाम हटाने का आरोप लगाया है।

राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस प्रक्रिया पर तीखा हमला किया, और वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर हेरफेर का आरोप लगाया।

डोटासरा ने लिखा, “अब पूरा देश समझ गया है कि एसआईआर, जो चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत से किया जा रहा है, उसका असली मतलब भारत के अधिकारों को चुराना है। जिन्हें हारने का डर था, उन्हीं के नाम हटाए गए। राजस्थान में 41.85 लाख वोटरों के नाम हटाना कोई प्रक्रियात्मक कार्रवाई नहीं है, बल्कि वोट चोरी की एक सोची-समझी साजिश है।”

डोटासरा ने आगे कहा कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के वोटर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र की जड़ों पर हमला किया गया है। भाजपा जानती है कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए, तो उसकी हार पक्की है। इसीलिए चुनाव आयोग और प्रशासन की आड़ में पक्षपातपूर्ण तरीके से वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं।” उन्होंने नागरिकों से संवैधानिक वोटिंग अधिकारों पर हमले के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी 'शिफ्टेड' और 'अनुपस्थित' कैटेगरी के तहत नाम हटाने पर सवाल उठाए।

जूली ने कहा, “अगर कोई शिफ्ट हुआ है, तो वह कहीं और गया होगा। उसका वोट वहां जोड़ा जाना चाहिए। हर कोई जो शिफ्ट हुआ है, उसने राज्य नहीं छोड़ा है।”

कांग्रेस ने कहा कि उसने शुरू से ही एसएसआर प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी। डोटासरा ने पहले दावा किया था कि रिवीजन प्रक्रिया के दौरान 50 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम हटाने की तैयारी चल रही है।

एसएसआर वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट मंगलवार को जारी किया गया, जिससे नई राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आईं।

बड़े पैमाने पर नाम हटाने से व्यापक बहस छिड़ गई है, विपक्षी नेता रिवीजन प्रक्रिया में ज्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, जबकि वोटरों को बाहर करने के लिए इस्तेमाल किए गए मानदंडों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

Point of View

तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को चुनौती देता है। सभी नागरिकों को अपने वोटिंग अधिकारों का संरक्षण करना चाहिए।
NationPress
17/12/2025

Frequently Asked Questions

कांग्रेस ने वोटर लिस्ट में नाम हटाने के खिलाफ क्या कहा?
कांग्रेस ने इसे वोट चोरी की साजिश बताया है और आरोप लगाया है कि यह भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से किया गया है।
क्या वोटरों के नाम हटाने का कोई कानूनी आधार है?
विपक्ष ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाया है और इसे पक्षपातपूर्ण बताया है।
इस मामले का लोकतंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इससे लोकतंत्र की जड़ों पर हमला हो सकता है और वोटिंग अधिकारों पर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
क्या यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना?
हाँ, यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में है और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच विवाद उत्पन्न कर रहा है।
कांग्रेस ने पहले इस प्रक्रिया पर क्या आपत्ति जताई थी?
कांग्रेस ने शुरू से ही एसएसआर प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताई थी और इसे वोटरों के अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
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