क्या अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल सांसदों को 'तीन सूत्रीय निर्देश' दिए?
सारांश
Key Takeaways
- अभिषेक बनर्जी ने सांसदों को 'आचार संहिता' का पालन करने का निर्देश दिया।
- बैठक में दिल्ली का माहौल अनुकूल नहीं होने की बात कही गई।
- सांसदों को बिना सूचना दिए केंद्रीय मंत्रियों से नहीं मिलने की सलाह दी गई।
- पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- भाजपा द्वारा छोटे मुद्दों को भी उठाने की चेतावनी दी गई।
कोलकाता, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को दिल्ली में पार्टी के सांसदों से एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में, उन्होंने सांसदों को पार्टी की 'आचार संहिता' का ध्यान दिलाया और चेतावनी
अभिषेक ने तृणमूल के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों के साथ एक महत्वपूर्ण चर्चा की।
एक तृणमूल कांग्रेस के सूत्र के अनुसार, इस बैठक के दौरान उन्होंने संसदीय दल के भीतर कुछ आंतरिक मुद्दों और सांसदों के आचरण पर गंभीरता
सूत्रों के मुताबिक, अभिषेक ने सांसदों को तीन स्पष्ट संदेश दिए।
उन्होंने सांसदों को बताया कि दिल्ली का माहौल अनुकूल नहीं है और संसद के शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लौटकर पार्टी के कार्यों या संगठनात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सांसदों से जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का निर्देश दिया।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, बैठक में तृणमूल सांसदों की नाइट पार्टियों को लेकर कुछ चर्चा की गई।
डायमंड हार्बर के सांसद कुछ दिनों के लिए देश से बाहर होने के कारण संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल नहीं हो सके। तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग का मानना है कि हाल ही में संसदीय दल के भीतर कुछ समन्वय संबंधी समस्याएं उत्पन्न हुई थीं।
बुधवार की बैठक का कारण भी यही बताया गया।
बैठक में, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव ने सांसदों को दूसरा निर्देश दिया कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी सांसद पार्टी को सूचित किए बिना किसी केंद्रीय मंत्री से न मिले।
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में तृणमूल के कुछ सांसदों पर रेल मंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्रियों से पार्टी नेतृत्व को सूचित किए बिना मुलाकात करने का आरोप लगा था।
इसी वजह से अभिषेक ने यह निर्देश दिया। उन्होंने सांसदों को सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि भाजपा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले छोटे-मोटे मुद्दों को भी प्रचार सामग्री के रूप में उपयोग कर सकती है।