क्या मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर तेजी से हो रहा काम?

सारांश
Key Takeaways
- मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की लंबाई 508 किलोमीटर है।
- 406 किलोमीटर का आधारभूत कार्य पूरा हो चुका है।
- परियोजना पर 78,839 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है।
- बुलेट ट्रेन का कार्य 30 जून, 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
- इससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार के अनेक अवसर मिलेंगे।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में जानकारी दी कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना (508 किलोमीटर) पर तेजी से प्रगति हो रही है। इसमें से 406 किलोमीटर में आधारभूत कार्य पूर्ण हो चुका है और 127 किलोमीटर लंबे पुल पर ट्रैक बिछाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में बताया कि इस परियोजना के अन्य महत्वपूर्ण कार्य जो संपन्न हो चुके हैं, उनमें 395 किलोमीटर में खंभे और 300 किलोमीटर से अधिक में गर्डर कास्टिंग और गर्डर लॉन्चिंग शामिल हैं। इंजनों को बिजली आपूर्ति के लिए ओवरहेड उपकरण मस्तूलों का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है।
कुल 12 स्टेशनों में से 8 स्टेशनों (वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, आणंद, वडोदरा, अहमदाबाद और साबरमती) पर नींव का कार्य पूरा हो चुका है।
महाराष्ट्र खंड में, 3 स्टेशनों (ठाणे, विरार, बोईसर) पर नींव का कार्य प्रगति पर है, बीकेसी स्टेशन पर खुदाई का कार्य लगभग पूरा होने वाला है और बेस स्लैब की ढलाई प्रारंभ हो गई है।
16 नदी पुलों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जबकि गुजरात में 5 प्रमुख नदी पुलों (नर्मदा, विश्वामित्री, माही, ताप्ती और साबरमती) पर कार्य अंतिम चरण में है और महाराष्ट्र में चार नदी पुलों पर काम प्रगति पर है।
डिपो (ठाणे, सूरत और साबरमती) पर कार्य तेज गति से चल रहा है। गुजरात में एकमात्र सुरंग का कार्य पूरा हो चुका है। समुद्र के नीचे सुरंग (लगभग 21 किमी) का काम प्रारंभ हो गया है, जबकि महाराष्ट्र में घनसोली और शिलफाटा के बीच 4 किमी लंबी सुरंग का कार्य पूरा हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि 30 जून, 2025 तक इस परियोजना पर कुल 78,839 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
इस परियोजना ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से निर्माण से जुड़े लोगों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं, विभिन्न वस्तुओं, निर्माण सामग्री, उपकरणों और सेवाओं की आपूर्ति की है।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना बहुत जटिल और तकनीकी रूप से गहन होती है।
उन्होंने आगे कहा कि परियोजना के पूरा होने की सटीक समय-सीमा और लागत का अनुमान सिविल संरचनाओं, ट्रैक, विद्युत, सिग्नलिंग और दूरसंचार तथा ट्रेनसेट की आपूर्ति जैसे सभी संबंधित कार्यों के पूरा होने के बाद ही लगाया जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि एमएएचएसआर परियोजना के लिए 1389.5 हेक्टेयर की पूरी भूमि का अधिग्रहण किया गया है।
कोस्टल रेगुलेशन जोन (सीआरजेड) और वन संबंधी सभी वैधानिक मंजूरियां प्राप्त कर ली गई हैं।
परियोजना के सभी सिविल अनुबंध प्रदान कर दिए गए हैं। कुल 28 टेंडर पैकेजों में से 24 टेंडर पैकेज प्रदान कर दिए गए हैं। सभी 1,651 उपयोगिताओं को स्थानांतरित कर दिया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि वंदे भारत ट्रेनें मौजूदा नेटवर्क के लिए सेमी-हाई स्पीड वाली ट्रेनें हैं और इन्हें बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट जापानी शिंकानसेन ट्रेनों के लिए डिजाइन की गई है।
अब तक, भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज (बी.जी.) इलेक्ट्रिफाइड नेटवर्क पर चेयर कार वाली 150 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। इसके अलावा, वंदे भारत ट्रेन सर्विस सहित नई ट्रेन सेवाओं की शुरुआत, भारतीय रेलवे पर एक सतत प्रक्रिया है। वंदे भारत ट्रेन सेटों को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
उन्होंने कहा कि इन सेवाओं को अधिक मार्गों तक विस्तारित करने के लिए मेक इन इंडिया पहल के तहत 200 वंदे भारत स्लीपर रेक का निर्माण कार्य चल रहा है।