क्या हिंदू सेना ने बाबर रोड पर अयोध्या मार्ग के पोस्टर लगाकर विदेशी आक्रांता की महिमा का विरोध किया?
सारांश
Key Takeaways
- हिंदू सेना ने बाबर रोड पर पोस्टर लगाकर विरोध जताया।
- भारतीय समाज बाबर जैसे विदेशी आक्रांता के प्रतीकों को स्वीकार नहीं करता।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर का निर्माण हो चुका है।
नई दिल्ली, ६ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर, दिल्ली के बंगाली मार्केट इलाके में बाबर मार्ग के बोर्ड पर अयोध्या मार्ग के पोस्टर चस्पा किए गए। हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाकर इस स्थान का नाम बदलने की मांग की। उनका कहना है कि भारतीय समाज में बाबर जैसे विदेशी आक्रांता के नाम पर किसी भी स्थान का नाम स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हिंदू संगठन का कहना है कि कई महागनगर पालिका परिषद को इस संबंध में पत्र भेजकर यह मांग की जा चुकी है कि इस मार्ग का नाम बदला जाए। हिंदुस्तान में किसी स्थल का नाम बाबर के नाम पर कैसे रखा जा सकता है, लेकिन अभी तक परिषद की तरफ से इस संबंध में किसी भी प्रकार की संतोषजनक उत्तर नहीं आया है।
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि बाबर कोई संत महात्मा नहीं था। वह एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भारत में अनेक मंदिरों को ध्वस्त किया। अब अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर का निर्माण हो चुका है। ऐसी स्थिति में हम बाबर से जुड़े किसी भी प्रकार के प्रतीकों को कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मेरा सीधा सवाल है कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो चुका है, तो ऐसे में बाबर का क्या काम? हम अपने देश में किसी स्थल, इमारत या किसी जगह का नाम बाबर के नाम पर कैसे रख सकते हैं? क्या इस तरह की स्थिति हमारी संस्कृति में स्वीकार की जाएगी? जवाब स्पष्ट है, नहीं की जाएगी।
हिंदू सेना के अध्यक्ष ने कहा कि भारत की आजादी के बाद भी जब हम बाबर रोड से गुजरते हैं, तो यह हमें भारत की गुलामी की याद दिलाता है। एक आजाद देश में हम भारत की गुलामी से संबंधित प्रतीकों को स्वीकार नहीं कर सकते। हम ऐसा कतई नहीं होने देंगे।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर हम भारत की सरजमीं पर किसी विदेशी आक्रांता का गुणगान क्यों करेंगे?