क्या इंदौर में फर्जी चालान घोटाले में सरकार को 49.42 करोड़ का नुकसान हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- इंदौर में शराब फर्जी चालान घोटाला हुआ।
- दो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
- राज्य को 49.42 करोड़ का नुकसान हुआ।
- जांच जारी है, और और भी खुलासे हो सकते हैं।
- फर्जी चालानों का उपयोग किया गया।
इंदौर, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की इंदौर सब-जोनल ऑफिस ने शराब फर्जी चालान घोटाले में कार्रवाई करते हुए अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन पर राज्य सरकार को 49.42 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का आरोप है। जांच एजेंसी आरोपियों से पूछताछ कर यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।
रावजी पुलिस थाने में दर्ज एक एफआईआर के आधार पर यह कार्रवाई 3 अक्टूबर को की गई। एफआईआर में शराब ठेकेदारों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन ठेकेदारों पर आरोप है कि उन्होंने राजकोषीय चालानों में हेराफेरी कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया।
ईडी की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह घोटाला योजनाबद्ध तरीके से किया गया। आरोपी शराब ठेकेदार पहले ट्रेजरी में बहुत कम रकम जमा करते थे, लेकिन चालान की 'रुपये शब्दों में' वाली जगह को खाली छोड़ देते थे। चालान जमा होने के बाद ये आरोपी चालान की कॉपी पर मनमाने तरीके से भारी रकम को शब्दों और अंकों में भर देते थे।
इसके बाद, ये फर्जी चालान देसी शराब के गोदामों या विदेशी शराब के लिए जिला आबकारी कार्यालयों में यह दिखाने के लिए जमा कराते थे कि उन्होंने एक्साइज ड्यूटी, लाइसेंस फीस या न्यूनतम गारंटी राशि का भुगतान कर दिया है।
इन्हीं झूठे दस्तावेज के आधार पर आरोपियों को अवैध रूप से एनओसी और शराब लाइसेंस स्वीकृत किए गए। इससे राजकोष को भारी नुकसान हुआ और शराब कारोबारियों को गैरकानूनी मुनाफा हुआ।
ईडी की जांच में अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को इस पूरे घोटाले का मुख्य मास्टरमाइंड पाया गया है। इन दोनों ने ही इस फर्जीवाड़े की पूरी योजना बनाई और उसे अंजाम तक पहुंचाया। आरोपियों को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें 8 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि मामले की आगे की जांच जारी है और जल्द ही और भी खुलासे हो सकते हैं।