क्या कांग्रेस की ये हालत केवल ईरान के मुद्दे से जुड़ी है?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस का ईरान का समर्थन और उसकी विश्वसनीयता पर असर।
- तुष्टिकरण की राजनीति का असर गांधी परिवार की छवि पर।
- भाजपा का नजरिया और सोनिया गांधी के लेख पर प्रतिक्रिया।
सिंधुदुर्ग, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग ने भारत में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विदेश नीति पर सवाल उठाए, जिसका सत्ता पक्ष ने जवाब दिया। इसी संदर्भ में महाराष्ट्र भाजपा के नेता और मंत्री नितेश राणे ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ईरान के प्रति समर्थन कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
नितेश राणे ने कहा, "कांग्रेस जैसी पार्टियां मुस्लिम लीग की बी टीम रही हैं। इन पार्टियों ने भारत को एक इस्लामिक देश बनाने की साजिशें की हैं। कांग्रेस का ईरान का समर्थन कोई नई बात नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस की ये हालत हुई है। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते ही गांधी परिवार की विश्वसनीयता में कमी आई है।"
ईरान-इजरायल मामले पर सोनिया गांधी ने हाल ही में एक लेख लिखा, जिसमें उन्होंने ईरान का समर्थन किया और इजरायल के हमलों की निंदा की। सोनिया ने सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए और कहा, "इजरायल द्वारा गाजा में की गई तबाही और बिना कारण ईरान पर सैन्य हमले के खिलाफ भारत की चुप्पी यह दर्शाती है कि मौजूदा सरकार ने अपनी नैतिकता और कूटनीतिक परंपराओं को छोड़ दिया है।"
सोनिया गांधी के इस लेख के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर लगातार हमले किए हैं। भाजपा सांसद रेखा शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि सोनिया गांधी केवल एक विशेष वोट बैंक को खुश करने के लिए ऐसी बातें करती हैं।
रेखा शर्मा ने कहा, "भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और एक शांतिप्रिय देश है। भारत ईरान और इजरायल दोनों का मित्र है और प्रधानमंत्री मोदी का दोनों देशों में सम्मान किया जाता है। भारत दोनों के बीच शांति चाहता है, लेकिन किसी एक का पक्ष नहीं लेता। यह समझने वाली बात है कि अचानक से सोनिया गांधी विदेश नीति में रुचि लेने लगी हैं।"