क्या ओआईसी को भारत के आंतरिक मामलों पर बोलने का हक है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने ओआईसी की टिप्पणी को खारिज किया।
- ओआईसी को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
- पाकिस्तान का दुरुपयोग ओआईसी के लिए चिंता का विषय है।
- जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।
- भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों की रक्षा पर केंद्रित है।
नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने सोमवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) द्वारा की गई भारत-विरोधी टिप्पणियों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे अनुचित और तथ्यहीन करार दिया। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि ओआईसी को भारत के आंतरिक मामलों, विशेषकर जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में, टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “ये टिप्पणियां पाकिस्तान द्वारा प्रेरित हैं, जिसने आतंकवाद को अपनी राजनयिक नीति का हिस्सा बना लिया है। यह ओआईसी मंच का संकीर्ण राजनीतिक हितों के लिए निरंतर दुरुपयोग है।”
ओआईसी की विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) का 51वां सत्र 21-22 जून को तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित हुआ, जिसमें 147 प्रस्तावों और इस्तांबुल घोषणा पत्र को अपनाया गया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ओआईसी बार-बार पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के वास्तविक और दस्तावेजीकृत खतरों की अनदेखी करता है। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में यह स्पष्ट रूप से देखा गया, जो इस मंच की सच्चाई और वैश्विक आतंकवाद विरोधी सहमति के प्रति जानबूझकर की जा रही उपेक्षा को दर्शाता है।
विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा, “जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और संप्रभु हिस्सा है। यह भारत के संविधान में दर्ज है। ओआईसी को पाकिस्तान के प्रचार के प्रभाव में आकर अपने एजेंडे को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए, वरना इसकी विश्वसनीयता और प्रासंगिकता को गहरी क्षति पहुंचेगी।”
विदेश मंत्रालय ने ओआईसी बैठक में पाकिस्तान द्वारा लगाए गए “बेसिर-पैर के आरोपों” को भी खारिज किया और कहा कि यह पाकिस्तान द्वारा दुनिया का ध्यान अपने यहां प्रायोजित आतंकवाद, अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न, और सांप्रदायिक हिंसा से भटकाने की नाकाम कोशिश है।
भारत ने कहा, “पाकिस्तान द्वारा लगाए गए 'अकारण और अनुचित सैन्य आक्रामकता' के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' एक वैध और सटीक आत्मरक्षा की कार्रवाई थी, जो पाकिस्तान की जमीन से संचालित आतंकवादी शिविरों के विरुद्ध की गई थी।”
भारत का कहना है कि यह हास्यास्पद है कि पाकिस्तान सिर्फ भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की बात करता है, जबकि उसके जवाबी हमले विफल रहे और उन्होंने आम नागरिकों की जान और संपत्ति को खतरे में डाला, जिसमें कई नागरिक हताहत हुए।
बता दें कि ओआईसी खुद को मुस्लिम जगत की सामूहिक आवाज कहता है और इसके 57 सदस्य देश हैं। यह मंच दुनिया में मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा के लिए कार्य करता है। हालांकि, भारत ने बार-बार कहा है कि ओआईसी को पाकिस्तान जैसे देशों का उपकरण नहीं बनना चाहिए, जो अपने संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे के तहत भारत के खिलाफ झूठे और पक्षपाती प्रस्ताव पारित कराते हैं।