क्या आईएनएस विक्रांत पर पीएम मोदी ने जवानों को सैल्यूट किया?

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क्या आईएनएस विक्रांत पर पीएम मोदी ने जवानों को सैल्यूट किया?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के मौके पर गोवा तट पर तैनात आईएनएस विक्रांत पर भारतीय नौसेना के जवानों को सैल्यूट किया। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है, जो देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान और आभार दर्शाती है। जानें इस परंपरा के पीछे का इतिहास और महत्व।

Key Takeaways

  • प्रधानमंत्री मोदी का सैनिकों के प्रति सम्मान और आभार।
  • दीपावली मनाने की परंपरा का ऐतिहासिक महत्व।
  • आईएनएस विक्रांत का महत्व और उसकी भूमिका।
  • मोदी का संदेश: सैनिकों का बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा।
  • समाज में सैनिकों की सेवाओं की मान्यता का महत्व।

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारतीय नौसेना के अद्भुत जवानों के साथ दीपावली का पर्व मनाया। वे गोवा तट पर स्थित देश के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर पहुंचे, जहां उन्होंने देश की रक्षा में जुटे जवानों को सैल्यूट किया।

प्रधानमंत्री ने जवानों के अदम्य साहस और समर्पण की प्रशंसा की और उन्हें यह संदेश दिया कि देश उनके प्रयासों को कभी नहीं भूलता।

यह पहली बार नहीं है कि उन्होंने जवानों के साथ त्योहार मनाया है। पिछले दो दशकों में, वह कई बार जवानों के साथ त्योहार की खुशियां साझा कर चुके हैं। 2014 से हर वर्ष, वह देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों के साथ दीपावली मनाते आए हैं। यह परंपरा गुजरात से शुरू हुई थी, जब मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने 2001 में कच्छ में आए भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में निवासियों के साथ दीपावली मनाने का निर्णय लिया। 2009 में, उन्होंने नाथू ला सीमा पर जाकर सैनिकों को शुभकामनाएं दीं और लिखा, “भारत आप पर गर्व करता है। आपका कर्तव्य केवल सेवा नहीं, यह साधना और तपस्या है।” यही संदेश उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बनाए रखा।

मोदी अर्काइव के एक्स हैंडल ने पीएम मोदी की अब तक की दीपावली समारोह की तस्वीरें साझा कीं। 2014 में, उन्होंने अपने पहले कार्यकाल की दीपावली सियाचिन ग्लेशियर पर मनाई, जहां सैनिक प्रतिदिन कठोर परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभाते हैं। उनका यह दौरा यह बताने के लिए था कि देश का आभार सबसे कठिन स्थानों पर भी पहुंचता है।

2015 में, उन्होंने डोगराई (पंजाब) के युद्ध स्मारक का दौरा किया और 1965 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। अगले वर्ष 2016 में, मोदी ने हिमाचल प्रदेश के सोमडू और चांगो में सैनिकों के साथ दीपावली मनाई और वन रैंक वन पेंशन जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा की।

2017 में, जम्मू-कश्मीर के गुरेज घाटी में जवानों ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। उन्होंने व्यक्तिगत संदेश देते हुए कहा कि जैसे सभी अपने परिवार के साथ दीपावली मनाते हैं, वैसे ही मैं भी यहां अपने परिवार के साथ हूं। 2018 में, उन्होंने हर्षिल और केदारनाथ (उत्तराखंड) में सैनिकों से मुलाकात की और कठिन परिस्थितियों में उनकी सेवा का मान सम्मानित किया।

2019 में, राजौरी और पठानकोट में उन्होंने इन्फैंट्री डे के अवसर पर सैनिकों का सम्मान किया। 2020 में, महामारी के बावजूद, उन्होंने राजस्थान के लोंगेवाला जाकर दीपावली मनाई, जो 1971 के युद्ध की वीरता से जुड़ा क्षेत्र है। सैनिकों की कठिनाइयों को समझते हुए उन्होंने कहा, “अगर हमें मास्क पहनने में असुविधा होती है तो सैनिकों को भारी सुरक्षा उपकरण पहनने में कितनी कठिनाई होती होगी।”

2021 में, नौशेरा (जम्मू-कश्मीर) और 2022 में कारगिल में उन्होंने दीपावली मनाई, सैनिकों को परिवार का हिस्सा बताते हुए देशवासियों से उनके साहस और समर्पण के लिए दीप जलाने का आग्रह किया। 2023 में, हिमाचल प्रदेश के लेप्चा क्षेत्र में दीपावली मनाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने नारी शक्ति और रक्षा निर्यात में हुई प्रगति का उल्लेख किया।

2024 में, उन्होंने गुजरात के कच्छ का दौरा किया, जहां उन्होंने बीएसएफ, सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों को मिठाइयां खिलाईं और उनके उत्साह को बढ़ाया। इस प्रकार, प्रधानमंत्री मोदी की यह परंपरा न केवल सैनिकों के साहस को मान्यता देती है, बल्कि नागरिकों को भी देश की सीमाओं की चुनौतियों और वीरता से जोड़ती है।

प्रधानमंत्री मोदी की इस दीपावली यात्रा से यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत अपने सैनिकों की सेवा और समर्पण को हमेशा याद रखता है। उनका यह स्थायी जुड़ाव देशवासियों को यह भी याद दिलाता है कि हर दीपक का प्रकाश केवल घरों में नहीं, बल्कि उन बहादुर जवानों तक भी पहुंचता है, जो भारत की सीमाओं की सुरक्षा में दिन-रात तैनात हैं।

Point of View

बल्कि यह हमारे सैनिकों के प्रति सच्चे सम्मान और आभार का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी की यह परंपरा हमें यह याद दिलाती है कि हम अपने सैनिकों की बहादुरी और त्याग को कभी नहीं भूलें।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

प्रधानमंत्री मोदी ने दीपावली का त्योहार कब मनाया?
प्रधानमंत्री मोदी ने दीपावली का त्योहार 20 अक्टूबर को आईएनएस विक्रांत पर मनाया।
आईएनएस विक्रांत का महत्व क्या है?
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, जो देश की समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मोदी की सैनिकों के साथ त्योहार मनाने की परंपरा कब शुरू हुई?
मोदी की यह परंपरा गुजरात में 2001 से शुरू हुई थी, जब उन्होंने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में दीपावली मनाई थी।
मोदी ने पिछले वर्षों में और कहाँ दीपावली मनाई है?
मोदी ने सियाचिन, जम्मू-कश्मीर, और राजस्थान जैसे कई स्थानों पर सैनिकों के साथ दीपावली मनाई है।
इस परंपरा का क्या संदेश है?
यह परंपरा हमारे सैनिकों के प्रति आभार और सम्मान को दर्शाती है और यह याद दिलाती है कि हम उनके बलिदानों को कभी नहीं भूलें।