क्या इंटरनेशनल यूथ डे पर योगासन युवाओं के लिए वरदान हैं?

सारांश
Key Takeaways
- योगासन का नियमित अभ्यास युवाओं के लिए लाभकारी है।
- सकारात्मक मानसिकता विकसित करने में मदद करता है।
- यह शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
- तनाव और चिंता को कम करता है।
- योगासन से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 12 अगस्त को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल यूथ डे, युवाओं की ऊर्जा, जोश और परिवर्तन की क्षमता का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि युवा न केवल भविष्य के नेता हैं, बल्कि वर्तमान में सकारात्मक बदलाव के अग्रदूत भी हैं। लेकिन पढ़ाई, नौकरी, रिश्तों और सामाजिक दबावों के बीच, स्वस्थ और संतुलित रहना आवश्यक है। इस दिशा में योगासन एक महत्वपूर्ण सहारा बन सकता है।
योगासन हर उम्र के लोगों को फिट और फाइन बनाए रखता है। युवाओं के लिए ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन और बालासन जैसे कई आसन हैं, जो सरल और प्रभावी हैं तथा हर किसी के लिए उपयुक्त हैं।
ये आसन युवाओं को शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से मजबूत रखने में मदद करते हैं। नियमित अभ्यास से युवा पढ़ाई, करियर और जीवन की चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकते हैं।
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय इन योगासनों के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देता है।
ताड़ासन: यह आसन शरीर के पोश्चर को सुधारता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है और रीढ़ को लचीला बनाता है। ताड़ासन के नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में कई लाभ मिलते हैं। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है।
अर्धहलासन: रक्त संचार को संतुलित करता है। इसे करने से तनाव कम होता है और यह उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। वहीं, शवासन तनाव और चिंता को कम करता है, दिमाग को शांत करता है और रक्तचाप को स्थिर रखने में सहायक है। हालांकि, इन योगासनों को नियमित रूप से किया जा सकता है, लेकिन उच्च रक्तचाप के मरीजों को योग शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
वृक्षासन: इस आसन में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है। यह पैरों को मजबूती प्रदान करता है और संतुलन बनाने में सहायक है। इसके नियमित अभ्यास से टखनों, जांघों, पिंडलियों और रीढ़ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। यह रक्त परिसंचरण को बेहतर करता है और पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।
योगाभ्यासों में एक महत्वपूर्ण आसन है बालासन, जिसे चाइल्ड पोज भी कहा जाता है। यह मुद्रा तनाव और चिंता को दूर करने में काफी प्रभावी मानी जाती है। यह रीढ़ की हड्डी, कूल्हों, जांघों और टखनों को खिंचाव देती है।
पश्चिमोत्तानासन: इस आसन से श्वसन क्षमता में सुधार होता है, जिससे फेफड़े मजबूत होते हैं। यह विशेष रूप से डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।
भुजंगासन: यह पीठ दर्द से राहत देता है और रीढ़ को लचीला बनाता है। यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और ऊर्जा का स्तर बनाए रखता है।