क्या आईपीएस पराग जैन को 'रॉ' का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है, रवि सिन्हा की जगह?

सारांश
Key Takeaways
- पराग जैन को 'रॉ' का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है।
- उनकी आतंकवाद निरोधक विशेषज्ञता महत्वपूर्ण है।
- वे 1 जुलाई 2025 से पदभार ग्रहण करेंगे।
- रवि सिन्हा का कार्यकाल 30 जून को समाप्त होगा।
- 'रॉ' भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है।
नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने पंजाब कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी पराग जैन को रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) का नया प्रमुख नियुक्त किया है। वह रवि सिन्हा की जगह लेंगे, जिनका मौजूदा कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है।
जैन 1 जुलाई 2025 को दो साल के निश्चित कार्यकाल के लिए पदभार ग्रहण करेंगे। पराग जैन सिन्हा के बाद दूसरे नंबर पर थे। उन्हें आतंकवाद निरोधक विशेषज्ञ माना जाता है और उनकी खास विशेषज्ञता अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र में है। उनकी विशेषज्ञता, विशेष रूप से सीमा पार आतंकी नेटवर्क को डिकोड करने में, रॉ की स्थिति को आने वाले वर्षों में आकार देने की उम्मीद है।
जैन की नियुक्ति भारत के कुछ सबसे संवेदनशील सुरक्षा परिदृश्यों में सामने आई है। वह वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर का नेतृत्व कर रहे हैं। जैन को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुफिया प्रयासों को आगे बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है। इस मिशन के तहत भारतीय सेना ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और पीओके में 9 आंतकी ठिकानों पर लक्षित हमले किए और उन्हें तबाह किया था।
बता दें कि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है। 1968 से पहले, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ही देश के अंदर और बाहर, दोनों तरह की खुफिया जानकारी जुटाने का काम करता था। लेकिन, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद और सटीकता से विदेशी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक अलग एजेंसी की जरूरत महसूस की गई। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए 'रॉ' का गठन किया गया।
रॉ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा असर डालने वाले पड़ोसी देशों के घटनाक्रमों पर नजर रखती है। भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए गुप्त अभियान चलाना भी इसके मुख्य कार्यों में शामिल है। ऐसे ही भारत के लिए खतरा पैदा करने वाले आतंकी तत्वों को निष्क्रिय करना भी रॉ के कार्यों में शामिल है। रॉ दूसरे देशों में सक्रिय उन समूहों की जानकारी इकट्ठा करती है जो भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा हैं, और उन्हें निष्क्रिय करने का भी कार्य करती है।