क्या लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेना जरूरी है? थाईलैंड से वोट देने पटना पहुंचीं तन्वी शाह
सारांश
Key Takeaways
- तन्वी शाह का मतदान के लिए पटना आना एक प्रेरणा है।
- लोकतंत्र में भागीदारी हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
- बिहार के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है।
- एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाता कर्तव्यों का पालन करना अनिवार्य है।
पटना, 6 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान तन्वी शाह का नाम हर जगह चर्चा में है। ये वही तन्वी शाह हैं जो मुख्यतः बिहार की निवासी हैं, लेकिन उनका निवास थाईलैंड में है। जब उन्हें यह जानकारी मिली कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के यह निर्णय लिया कि उन्हें हर हाल में इस लोकतंत्र के महापर्व में भाग लेना है।
तन्वी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि मेरे लिए बिहार आने का यह एक सुनहरा अवसर था। जब मुझे पता चला कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो गई हैं, तो मैंने तुरंत यहाँ आने की योजना बनाई ताकि मैं अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को निभा सकूं। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में, यह बेहद आवश्यक है कि हम अपने मतदाता कर्तव्यों को समझें और इस पर कोई समझौता न करें। यही लोकतंत्र की वास्तविक खूबसूरती है।
उन्होंने यह भी बताया कि बिहार के युवाओं का भविष्य हमारी सरकार के निर्णयों पर निर्भर है। जब सरकार के चयन की बात आती है, तो हमारा कर्तव्य है कि हम इस महापर्व में सक्रिय रूप से भाग लें और अपनी आवाज उठाएं।
तन्वी ने कहा कि कई मुद्दे हैं, जैसे बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा, जिन्होंने मुझे यहाँ आने के लिए प्रेरित किया। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी युवा बेरोजगारी का सामना न करे और राज्य के विकास में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण है।