क्या आईटीएस ने भारत की कनेक्टिविटी को छह दशकों से गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?: सीपी राधाकृष्णन

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क्या आईटीएस ने भारत की कनेक्टिविटी को छह दशकों से गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?: सीपी राधाकृष्णन

सारांश

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के 60 वर्षों के सफर की सराहना की, जो भारत की कनेक्टिविटी की नींव रही है। इस अवसर पर उन्होंने डिजिटल समावेशन और नवाचार पर जोर देते हुए आईटीएस के योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया।

Key Takeaways

  • आईटीएस ने भारत की कनेक्टिविटी को छह दशकों से गढ़ा है।
  • उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने इसके योगदान की सराहना की।
  • डिजिटल समावेशन और तकनीकी नवाचार पर जोर दिया गया।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के हीरक जयंती समारोह में भाग लिया।

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आईटीएस की छह दशकों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए इसे देश की कनेक्टिविटी को जोड़ने वाली एक शक्तिशाली और शांत शक्ति के रूप में रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि 1965 में गठित आईटीएस ने दूरसंचार क्षेत्र में सरकार की महत्वपूर्ण तकनीकी-प्रबंधकीय आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भारत को डिजिटल शक्ति बनने के मार्ग पर अग्रसर किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “आईटीएस ने भारत के दूरसंचार परिदृश्य को आकार दिया है। टेलीग्राफी और लैंडलाइन कनेक्शन के शुरुआती दिनों से लेकर आज के अत्याधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे तक, इसकी यात्रा समर्पण और उत्कर्ष का प्रतीक रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस सेवा ने लाखों भारतीयों के लिए नए अवसर खोले हैं और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है, जिससे राष्ट्र की प्रगति को दिशा मिली है।

सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के दूरसंचार क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व सुधारों का उल्लेख किया, जिसमें डिजिटल समावेशन और तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता दी गई है।

उन्होंने बताया कि बीएसएनएल के एकाधिकार से लेकर आज प्रतिस्पर्धी और गतिशील बाजार तक, आईटीएस ने देश के दूरसंचार विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सीपी. राधाकृष्णन ने ऐतिहासिक पड़ावों का स्मरण करते हुए बताया कि जब एक टेलीफोन कनेक्शन हासिल करना भी एक चुनौती था, उस दौर से मोबाइल प्रौद्योगिकी ने संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। आईटीएस अधिकारी देश के दूरसंचार विकास के पीछे विश्वसनीय शिल्पकार रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने आईटीएस से आग्रह किया कि वह 5जी और 6जी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ कनेक्टिविटी के भविष्य में भारत को आगे बढ़ाए। प्रौद्योगिकी को समावेशी होना चाहिए, ताकि किसी भी नागरिक को पीछे न छोड़ा जाए और भारत वैश्विक स्तर पर दूरसंचार मानकों और नवाचार में अग्रणी बने।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी का उद्देश्य मानवता की सेवा करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी भारतीय समाज के विकास से वंचित न रहे।

Point of View

यह कहना उचित है कि आईटीएस ने भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक स्थायी योगदान दिया है। इसकी यात्रा न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक है, बल्कि यह देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

आईटीएस की स्थापना कब हुई थी?
आईटीएस की स्थापना 1965 में हुई थी।
आईटीएस ने किस क्षेत्र में योगदान दिया है?
आईटीएस ने दूरसंचार क्षेत्र में महत्वपूर्ण तकनीकी और प्रबंधकीय आवश्यकताओं को पूरा किया है।
आईटीएस का उद्देश्य क्या है?
आईटीएस का उद्देश्य भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करना और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना है।
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