क्या राजस्थान और इसकी संस्कृति से अभिनेत्री जाह्नवी सोनी को बहुत लगाव है?
सारांश
Key Takeaways
- राजस्थान की संस्कृति में गहराई से जुड़े कलाकारों की बातें
- जयपुर के प्रति प्रेम और आकर्षण
- कला और संस्कृति के बीच का संबंध
- एक्टिंग की सीखने की प्रक्रिया
- कविता का महत्व और उसका प्रभाव
मुंबई, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 'पारो संग देव' की अभिनेत्री जाह्नवी सोनी ने बताया कि उन्हें राजस्थान और यहाँ की संस्कृति से गहरा लगाव है। उन्होंने जयपुर के बारे में बात करते हुए कहा कि इस शहर का नाम पिंक सिटी है, और यहाँ की हवा में एक खास जादू है; यहाँ की हवाएं गुलाबी हैं। जयपुर और इसकी हवा में एक अद्भुत रोमांस बसा हुआ है।
जाह्नवी ने कहा कि जयपुर मुझे इतना भाता है कि मैं हमेशा वहाँ जाने की सोचती रहती हूं। हालाँकि, इस समय वहाँ बहुत सर्दी है। जयपुर में एक अद्भुत शांति है। अब जब हमारा शो ऑफ एयर हो गया है, तो मैं किसी भी हाल में वहाँ जाना चाहती हूँ। यहाँ पर सुकून है।
उन्होंने नवाजुद्दीन सिद्दीकी और भूमि पेडनेकर जैसे कलाकारों के साथ काम करने के बारे में कहा कि वे भी उसी प्रक्रिया से गुजरे हैं। उनमें वही गंभीरता है, जिसे मैं मानती हूँ। कुछ लोगों का यह भ्रम है कि कलाकार नशा करते हैं, लेकिन यह सब महज अफवाहें हैं। यहाँ ऐसा कुछ नहीं है।
वहीं, 'वन टू चा चा चा' में कॉमेडी फिल्म के अभिनेता हर्ष मायर ने कहा कि कॉमेडी में एक नई दिशा का पता लगाने का मौका मिला, और यह फिल्म करने में बहुत मजा आया। यह एक कॉमेडी फिल्म है, जिसका दर्शकों को बहुत इंतज़ार होगा, क्योंकि बॉलीवुड में सालों से कोई क्लीन कॉमेडी फिल्म नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि एक अभिनेता के रूप में मुझे फिल्में करना बहुत पसंद है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मुझे कई प्रकार के किरदार निभाने हैं; पुलिस, जासूस, और कई अन्य तरह के रोल मैं करना चाहूँगा।
उन्होंने यह भी कहा कि एक्टिंग समय के साथ और निखरती जाती है। यह एक सीखने की प्रक्रिया है। जब हम सीखना बंद कर देते हैं, तो हमारी एक्टिंग वहीं रुक जाती है, इसलिए सीखना बहुत आवश्यक है। फिल्म 'हिचकी' में रानी मुखर्जी के साथ काम करने के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। बॉलीवुड में रानी जैसे मंझे हुए कलाकार बहुत कम हैं। कभी-कभी धुरंधर कलाकारों के साथ काम करने में हिचक होती है, लेकिन उनसे सीखने का बहुत अवसर मिलता है।
अभिनेत्री प्रिया मलिक ने राष्ट्र प्रेस से अपनी आवाज के बारे में बताया कि पहले अल्फाज आते हैं और फिर उन अल्फाज को आप अपनी आवाज देते हैं। फिर एक ऐसा पल आता है, जब अल्फाज आपकी आवाज बन जाते हैं और आपकी आवाज आपके अल्फाज बन जाती है, यह एक चक्र है। यह एक सफर है, जो कविता के साथ पूरा होता है।
उन्होंने कहा कि कविता मेरे लिए मेरी पूजा, जुनून और भक्ति है। यह मेरे लिए सब कुछ है। कविताएं आपको जीना और प्यार करना सिखाती हैं। यह जीवन का पाठ भी सिखाती हैं।