क्या जयपुर की मोती की बूंद जैसी पहाड़ी पर दाहिने सूंड वाले गणपति विराजमान हैं?

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क्या जयपुर की मोती की बूंद जैसी पहाड़ी पर दाहिने सूंड वाले गणपति विराजमान हैं?

सारांश

जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर एक अद्भुत धार्मिक स्थल है, जिसकी दाहिनी सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति और चमत्कारिक कहानियाँ इसे विशेष बनाती हैं। यहाँ हर साल गणेश चतुर्थी पर भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।

Key Takeaways

  • मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
  • यहाँ भगवान गणेश की दाहिनी सूंड वाली मूर्ति स्थित है।
  • गणेश चतुर्थी पर यहाँ विशेष समारोह आयोजित होते हैं।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है और स्कॉटिश महल से प्रेरित है।
  • भक्तों की हर मनोकामना यहाँ पूरी होती है।

जयपुर, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ गणेश उत्सव का आगाज़ होगा। देश में विघ्न विनाशक के कई अद्भुत मंदिर हैं, जो उनकी चमत्कारिक कहानियों को दर्शाते हैं। राजस्थान की 'गुलाबी नगरी' जयपुर में एक ऐसा ही अनोखा मंदिर है, जहाँ मोती की बूंद जैसी दिखने वाली पहाड़ी पर दाहिने सूंड वाले गणपति विराजमान हैं।

जयपुर अपनी समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ का मोती डूंगरी गणेश मंदिर न केवल धार्मिक विश्वास का केंद्र है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख आकर्षण है। इस मंदिर में भगवान गणेश की दाहिनी सूंड वाली प्राचीन मूर्ति के लिए विशेष प्रसिद्धि है।

मान्यता है कि इस मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है और बाधाओं का नाश होता है। गणेश उत्सव के दौरान यहाँ श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ लगती है।

राजस्थान पर्यटन विभाग के अनुसार, जयपुर में स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर एक पवित्र और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, जिसे मोती डूंगरी कहा जाता है, क्योंकि यह मोती की बूंद जैसी दिखती है। इस पहाड़ी के चारों ओर जयपुर शहर बसा हुआ है। 18वीं शताब्दी में सेठ जय राम पालीवाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा भी है। कहा जाता है कि मेवाड़ के राजा एक लंबी यात्रा के बाद बैलगाड़ी में गणेश जी की विशाल मूर्ति लेकर लौट रहे थे। उन्होंने तय किया कि जहाँ गाड़ी रुकेगी, वहीं मंदिर का निर्माण किया जाएगा। बैलगाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी और यहीं 1761 में यह भव्य मंदिर स्थापित हुआ। यह मूर्ति करीब 500 साल पुरानी मानी जाती है, जिसे मावली से उदयपुर और फिर जयपुर लाया गया था।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर की संरचना और डिजाइन नागर शैली में है, जो उत्तर भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है। इसका डिज़ाइन स्कॉटिश महल से प्रेरित है, जो इसे और भी विशिष्ट बनाता है। मंदिर में तीन प्रवेश द्वार और कुछ सीढ़ियाँ हैं, जो भक्तों को गणेश जी की मूर्ति तक ले जाती हैं। इसका निर्माण चूना पत्थर और संगमरमर से किया गया है।

यहाँ भगवान गणेश की मूर्ति दाहिनी सूंड वाली है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। हर बुधवार को यहाँ मेला लगता है, और गणेश चतुर्थी जैसे पर्व पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

गणेश चतुर्थी, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को शुरू होती है, मोती डूंगरी मंदिर में धूमधाम से मनाई जाती है। इस समय मंदिर को फूलों, रोशनी और झांकियों से सजाया जाता है। गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दीपावली और अन्य त्योहारों पर यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।

भगवान गणेश को स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार पहनाया जाता है, साथ ही पंचामृत अभिषेक होता है। मंदिर में भगवान का मेहंदी से पूजन होता है, जिसे भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों की विवाह में बाधा आ रही है, उनके लिए ये मेहंदी वरदान स्वरूप होती है।

मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर शहर के केंद्र से 6 किमी दूर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है। यदि आप हवाई जहाज से आ रहे हैं, तो जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा यहाँ का सबसे निकटतम है। वहीं, ट्रेन से यात्रा करने वालों के लिए गांधी नगर रेलवे स्टेशन मंदिर के सबसे करीब है।

Point of View

बल्कि यहाँ की वास्तुकला और इतिहास भी इसे एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का उत्साह और विश्वास इस मंदिर को और भी खास बनाता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

मोती डूंगरी गणेश मंदिर कहाँ स्थित है?
यह मंदिर जयपुर शहर के केंद्र से 6 किमी दूर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर की विशेषता क्या है?
इस मंदिर की विशेषता इसकी दाहिनी सूंड वाली गणेश जी की प्राचीन मूर्ति है।
गणेश चतुर्थी यहाँ कैसे मनाई जाती है?
गणेश चतुर्थी पर मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और विशेष आयोजन किए जाते हैं।
क्या यहाँ मेहंदी का पूजन किया जाता है?
हाँ, यहाँ भगवान गणेश का मेहंदी से पूजन किया जाता है, जो भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर की निर्माण कथा क्या है?
किंवदंती है कि मेवाड़ के राजा ने यहाँ बैलगाड़ी में गणेश जी की मूर्ति लाकर मंदिर का निर्माण करवाया।