क्या आरके लक्ष्मण ने 'कॉमन मैन' के माध्यम से सत्ता को आईना दिखाया?

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क्या आरके लक्ष्मण ने 'कॉमन मैन' के माध्यम से सत्ता को आईना दिखाया?

सारांश

आरके लक्ष्मण, भारतीय राजनीतिक व्यंग्य के महान कार्टूनिस्ट, ने 'कॉमन मैन' के माध्यम से सत्ता की सच्चाई को उजागर किया। उनके कार्टूनों ने जनता की आवाज को दर्शाया, और उन्होंने पुरस्कारों से लेकर सम्मान तक कई उपलब्धियां हासिल की। उनकी कहानी और योगदान आज भी महत्वपूर्ण हैं।

Key Takeaways

  • आरके लक्ष्मण ने 'कॉमन मैन' के माध्यम से भारतीय राजनीति को एक नई पहचान दी।
  • उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जो उनके काम की गुणवत्ता को दर्शाते हैं।
  • लक्ष्मण की कलम ने आम आदमी की आवाज को सत्ता के सामने रखा।

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अगर भारत में राजनीतिक व्यंग्य की बात की जाए, तो आरके लक्ष्मण का नाम सबसे पहले आता है। उनके प्रसिद्ध कॉमन मैन ने भारतीय लोकतंत्र को एक खामोश, लेकिन प्रभावशाली आवाज दी, जो न तो कुछ बोलता था और न ही कुछ करता था, फिर भी सबकी कहानी कह देता था।

24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में तमिल अय्यर परिवार में जन्मे लक्ष्मण का पूरा नाम रासीपुरम कृष्णस्वामी लक्ष्मण था। वह आठ भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता एक स्कूल के हेडमास्टर थे और उनके बड़े भाई आरके नारायण एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थे।

छोटी उम्र में ही लक्ष्मण का ध्यान किताबों के बजाय कागज और पेंसिल में था। स्कूल में, जब अन्य बच्चे टीचर की बातें सुन रहे थे, लक्ष्मण का पेन कागज पर नाचता रहता था।

एक दिन कक्षा में जब टीचर पढ़ा रहे थे, लक्ष्मण अपने स्केच में खोए हुए थे। टीचर की नजर उन पर पड़ी, और उन्होंने गुस्से में लक्ष्मण का कान पकड़ा। लक्ष्मण ने इस घटना को अपनी आत्मकथा ‘द टनल ऑफ टाइम’ में साझा किया। यहीं से उनकी यात्रा शुरू हुई, जिसने भारत को कॉमन मैन जैसा अमर किरदार दिया।

उनकी प्रतिभा को पहले उनके भाई आरके नारायण ने पहचाना। जहाँ नारायण शब्दों से कहानियाँ रचते थे, वहीं लक्ष्मण रेखाओं से उन्हें जीवंत करते थे। लक्ष्मण ने अखबारों के लिए स्केचिंग शुरू की, और राजनीति की गंभीरता को व्यंग्य के माध्यम से प्रस्तुत किया।

1975 का आपातकाल भारतीय पत्रकारिता के लिए कठिन समय था, लेकिन लक्ष्मण ने अपने कार्टूनों के माध्यम से सत्ता की आलोचना की। उन्होंने कई पुरस्कार जीते, जिनमें 1984 का एशिया का सर्वोच्च पत्रकारिता पुरस्कार और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार शामिल हैं।

उन्हें 1973 में पद्म भूषण और 2005 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। लेकिन उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान उनका कॉमन मैन था, जिसकी मूर्तियां आज भी मुंबई और पुणे की सड़कों पर खड़ी हैं।

गणतंत्र दिवस के दिन, 26 जनवरी 2015 को आरके लक्ष्मण ने अंतिम सांस ली। 93 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी कलम ने दशकों तक सत्ता से सवाल पूछे और जनता की पीड़ा को रेखाओं में ढाला।

Point of View

बल्कि वह भारतीय समाज की जटिलताओं को सरलता से प्रस्तुत करते थे। वे हमेशा आम आदमी के दृष्टिकोण से चीज़ों को देखते थे, जिसने उन्हें एक सच्चे पत्रकार के रूप में स्थापित किया।.
NationPress
23/10/2025

Frequently Asked Questions

आरके लक्ष्मण कौन थे?
आरके लक्ष्मण एक प्रसिद्ध भारतीय कार्टूनिस्ट थे, जिन्होंने 'कॉमन मैन' को बनाया और राजनीति पर व्यंग्य किया।
आरके लक्ष्मण ने कौन से पुरस्कार जीते?
उन्हें 1984 का एशिया का सर्वोच्च पत्रकारिता पुरस्कार, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे कई पुरस्कार मिले।
आरके लक्ष्मण का जन्म कब और कहाँ हुआ?
आरके लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ।
आरके लक्ष्मण का 'कॉमन मैन' क्या है?
'कॉमन मैन' एक अमर किरदार है जो लक्ष्मण के कार्टूनों में आम आदमी की आवाज को दर्शाता है।
आरके लक्ष्मण का निधन कब हुआ?
उनका निधन 26 जनवरी 2015 को हुआ।