क्या राजस्थान के झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हुई?

सारांश
Key Takeaways
- झालावाड़ में स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की जान गई।
- 20 से ज्यादा बच्चे हुए घायल।
- स्कूल की इमारत लगभग 50 साल पुरानी थी।
- घटना के बाद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
- स्थानीय निवासियों ने पहले ही शिकायत की थी।
झालावाड़, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के झालावाड़ जिले के पलोदी गांव से एक बेहद दुखद घटना की जानकारी मिली है। गांव के सरकारी स्कूल की छत गिरने से लगभग २० बच्चे घायल हुए हैं। इस दुर्घटना में ७ मासूम बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है।
इस दुखद घटना ने पूरे गांव में शोक का वातावरण बना दिया है और प्रशासनिक विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। यह घटना उस समय घटी जब विद्यालय में प्रार्थना सभा के बाद बच्चे हाल में बैठे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के वक्त ३५-४० बच्चे वहां उपस्थित थे, तभी अचानक स्कूल की छत गिर गई। इस घटना के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई और गांव में हाहाकार फैल गया।
घटना के तुरंत बाद गांववाले स्कूल की ओर दौड़े और पुलिस को सूचना दी। जेसीबी मशीन की मदद से मलबा हटाया गया और बच्चों को बाहर निकाला गया। चार बच्चों की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि तीन बच्चों ने जिला अस्पताल में दम तोड़ दिया। सभी घायलों को जिला अस्पताल और मनोहरथाना अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
झालावाड़ जिला कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ और पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। कलेक्टर ने बताया कि इस हादसे में कुल ७ बच्चों की मृत्यु हुई है और २० से अधिक बच्चे घायल हुए हैं। नौ बच्चों का इलाज मनोहरथाना अस्पताल में जारी है, जबकि ११ बच्चों को झालावाड़ जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इस दुर्घटना में जान गंवाने वाले तीन बच्चों के शव जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखे गए हैं, जबकि चार बच्चों के शव मनोहरथाना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मोर्चरी में रखवाए गए हैं। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
हादसे के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की इमारत लगभग ५० साल पुरानी है और इसकी स्थिति बेहद जर्जर हो चुकी थी। एक स्थानीय निवासी, जिनके बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ते हैं, ने कहा कि मैंने भी इसी स्कूल में पढ़ाई की है और आज मेरे बच्चे भी वहीं पढ़ रहे हैं। हमने कई बार प्रशासन को स्कूल की स्थिति को लेकर शिकायत की थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने आगे कहा कि स्कूल में दो हाल, दो कमरे और एक बरामदा है। करीब चार-पांच साल पहले एक नया हॉल जरूर बना था, लेकिन पुरानी इमारत की मरम्मत कभी नहीं की गई।