क्या झारखंड हाईकोर्ट ने अमन साव केस में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड हाईकोर्ट ने अमन साव एनकाउंटर मामले में सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं।
- किरण देवी की एफआईआर न दर्ज करने पर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
- अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
रांची, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अमन साव के एनकाउंटर मामले में राज्य पुलिस के प्रति उसकी मां किरण देवी की ऑनलाइन एफआईआर रजिस्टर न करने की वजह से नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वह तुरंत एफआईआर रजिस्टर करे और इस संदर्भ में अदालत में स्टेटस रिपोर्ट पेश करे।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच द्वारा की गई, जिसमें स्वतः संज्ञान लेते हुए मृतक अमन साव की मां ने एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग की। प्रार्थी किरण देवी ने अदालत को बताया कि वह पिछले सात महीनों से ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश कर रही है, लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
यह मामला कॉग्निजेबल ऑफेंस का है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। राज्य सरकार ने कहा कि गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर मामले में सीआईडी ने पहले से एक एफआईआर दर्ज की है और इसी के तहत मृतक के परिजनों द्वारा की गई ऑनलाइन शिकायत के बिंदुओं की भी जांच चल रही है।
इस पर न्यायमूर्ति प्रसाद ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की है। अमन साव की मां किरण देवी ने याचिका में 11 मार्च 2025 को पलामू में उसके बेटे अमन साव के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
किरण देवी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई निदेशक, झारखंड के गृह सचिव, डीजीपी, एसएसपी रांची और एटीएस के कई अधिकारियों को प्रतिवादी बनाने का अनुरोध किया है। आरोप है कि उनके बेटे को रायपुर सेंट्रल जेल से रांची में एनआईए कोर्ट में पेशी के लिए लाया जा रहा था, लेकिन इस दौरान पुलिस ने साजिश के तहत उसका फर्जी एनकाउंटर कर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में अमन साव को 75 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में झारखंड की चाईबासा जेल से रायपुर स्थानांतरित किया गया था, जबकि रायपुर से रांची लाते समय केवल 12 सदस्यीय एटीएस टीम थी। इससे संदेह और गहराता है।