क्या झारखंड हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह के बर्खास्त कर्मचारियों की सेवा बहाल करने का आदेश दिया?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृह के बर्खास्त कर्मचारियों की सेवा बहाल करने का आदेश दिया?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों की सेवा बहाल करने का निर्णय लिया है। जानें इस फैसले के पीछे का कारण और इसके कानूनी महत्व क्या है।

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारियों की सेवा पुनर्स्थापित की।
  • सरकारी निर्णय को कानूनी दृष्टि से चुनौती दी गई थी।
  • न्यायालय ने कर्मचारियों की नियुक्ति को वैध माना।
  • कानून सबके लिए समान है, यह निर्णय इसका प्रमाण है।
  • कर्मचारियों को न्याय दिलाने में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है।

रांची, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने बोकारो बाल सुधार गृह के बर्खास्त किए गए आठ कर्मचारियों की सेवा फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश दीपक रौशन की अदालत ने गुरुवार को मामले की सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा सेवा समाप्त करने का आदेश ‘कानून की दृष्टि में गलत’ है और इसे रद्द किया जाता है।

अदालत में दायर याचिका के अनुसार, वर्ष 2016 में बोकारो के तत्कालीन उपायुक्त ने बाल सुधार गृह के आठ पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। विधिवत चयन प्रक्रिया के तहत बालमुकुंद प्रजापति, संदीप कुमार, राजेश कुमार, मुकेश कुमार दास, राजेंद्र प्रसाद और राजेश कुमार-2 सहित आठ अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई।

नियुक्ति के बाद उनकी सर्विस बुक खोली गई और उन्हें नियमित कर्मचारियों की तरह वेतन भी दिया गया। याचिका में कहा गया कि नियुक्ति के लगभग एक वर्ष बाद सरकार ने कर्मचारियों को एक महीने का नोटिस देकर सेवा समाप्त कर दी। इसके बाद जनवरी 2018 से उन्हें दैनिक वेतन भोगी श्रमिक के रूप में काम कराया जाने लगा।

इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए कर्मचारियों ने 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने यह दलील दी कि इन पदों पर नियुक्ति संविदा आधार पर की जानी थी, लेकिन विभागीय त्रुटि के कारण गलती से नियमित कर्मचारियों की तरह सेवा पुस्तिका खोली गई। गलती का पता चलते ही नोटिस जारी कर सेवा समाप्त कर दी गई।

वहीं, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नियुक्ति विधि सम्मत प्रक्रिया से हुई थी, सार्वजनिक विज्ञापन के आधार पर चयन किया गया था और पूरा लाभ नियमित कर्मचारियों जैसा दिया गया। सरकारी गलती के लिए कर्मचारियों को दंडित नहीं किया जा सकता। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका खोलना, वेतन देना और नियमित कर्मचारियों की तरह व्यवहार करना यह दर्शाता है कि उनकी सेवाएं स्वीकार की गई थीं। ऐसी स्थिति में विभागीय त्रुटि को आधार बनाकर सेवा समाप्त करना न्यायसंगत नहीं है।

Point of View

झारखंड हाईकोर्ट का यह निर्णय न केवल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उत्कृष्टता को भी दर्शाता है। यह घटना हमें यह सीख देती है कि किसी भी सरकारी निर्णय को उचित कानूनी प्रक्रियाओं के तहत ही लागू किया जाना चाहिए।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने किस मामले में निर्णय दिया?
झारखंड हाईकोर्ट ने बोकारो बाल सुधार गृह के बर्खास्त आठ कर्मचारियों की सेवा बहाल करने का आदेश दिया।
निर्णय का आधार क्या था?
निर्णय का आधार यह था कि राज्य सरकार द्वारा सेवा समाप्त करने का आदेश कानून की दृष्टि में सही नहीं है।
कर्मचारियों की नियुक्ति कब हुई थी?
कर्मचारियों की नियुक्ति वर्ष 2016 में हुई थी।
कर्मचारियों की सेवा क्यों समाप्त की गई थी?
कर्मचारियों की सेवा एक महीने का नोटिस देकर समाप्त की गई थी, जो कि विभागीय त्रुटि का परिणाम था।
क्या यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा?
हां, कर्मचारियों ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए 2017 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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