क्या झारखंड सरकार हूल क्रांति के शहीदों के वंशजों की अनदेखी कर रही है?

सारांश
Key Takeaways
- हूल क्रांति के शहीदों की उपेक्षा की जा रही है।
- शहीदों के वंशजों के लिए आवास की समस्या है।
- भोगनाडीह स्मृति स्थल की स्थिति चिंताजनक है।
- रघुवर दास ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
- सरकार को शहीदों के परिजनों की मदद करनी चाहिए।
रांची, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रमुख नेता रघुवर दास ने राज्य की झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार पर ऐतिहासिक ‘संथाल हूल क्रांति’ के शहीदों और उनके वंशजों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।
रघुवर दास ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ 1856 में हुई इस क्रांति के नायक सिदो-कान्हू के गांव संथाल परगना के भोगनाडीह में पहुंचकर शहीदों के वंशजों से मुलाकात की और उनकी स्थिति का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि अमर शहीदों और आंदोलनकारियों के नाम पर राजनीति करने वाली वर्तमान सरकार के पास शहीदों के वंशजों का हाल जानने का समय भी नहीं है।
उन्होंने बताया कि हमारी सरकार में सभी अमर शहीदों के गांवों और उनके परिवारों के विकास के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई थी, जो अब बंद हो चुकी हैं। हमारी सरकार में इस क्रांति के नायकों के वंशजों के सभी 11 परिवारों को आवास उपलब्ध कराया गया था। आज उनके परिवारों की संख्या 18 हो गई है। वे अपने लिए आवास की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस सरकार में उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। यह स्थिति बेहद दुखद और शर्मनाक है।
रघुवर दास ने भोगनाडीह में अमर शहीद सिदो-कान्हू मुर्मू स्मृति स्थल की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने इस स्मृति स्थल का निर्माण किया था, जहां हमारे आदिवासी वीरों ने बलिदान दिया, वह एक तीर्थ स्थल से कम नहीं है, लेकिन आज इसकी स्थिति बिल्कुल दयनीय हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'मैंने स्थानीय उपायुक्त से फोन पर बात कर इसकी नियमित देखरेख कराने का अनुरोध किया। हूल दिवस के अवसर पर 30 जून को यहां बड़ी संख्या में लोग आएंगे, यह पूजनीय स्थल बिल्कुल स्वच्छ होना चाहिए।'
इसके अलावा, रघुवर दास ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्वाचन क्षेत्र बरहेट में जन चौपाल कार्यक्रम में लोगों से संवाद किया और उनकी समस्याओं को राज्य एवं केंद्र सरकार तक पहुंचाने का वादा किया।