क्या जितेंद्र आव्हाड का बयान उनका निजी नजरिया है, उदित राज ने किया स्पष्टीकरण?

सारांश
Key Takeaways
- जितेंद्र आव्हाड का बयान सियासत में गर्मागर्मी का कारण बना।
- उदित राज ने इसे निजी नजरिया बताया।
- जातिगत मानसिकता हमारे विकास में बाधा डालती है।
- धर्म और जाति के बीच मतभेद गहरे हैं।
- राहुल गांधी के बयानों का संदर्भ 2015 के विवादित बिल से है।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एनसीपी (एसपी) के नेता जितेंद्र आव्हाड के 'सनातन' धर्म पर दिए गए बयान ने देश की सियासत में गरमी ला दी है। इस पर कांग्रेस नेता उदित राज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आव्हाड का निजी नजरिया है और वह इस मुद्दे पर अधिक टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
उदित राज ने स्पष्ट किया, "जब शिवाजी का राजतिलक होना था, तब कोई पंडित तैयार नहीं था। उन्हें वाराणसी जाना पड़ा, जहां एक पंडित के बाएं अंगूठे से तिलक किया गया। इसके लिए भारी रकम का भुगतान भी करना पड़ा। यह एक तरह का अपमान था।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत में जातियों के कारण समाज में विभाजन होता है। मेरे अनुभव से, एक गांव में 10 जातियों का होना अलग-अलग टोले बना देता है, जो एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। यह एक तरह का अघोषित सिविल वॉर है, जो हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है। जातिगत मानसिकता शिक्षा, राजनीति और अन्य क्षेत्रों में प्रगति में बाधा डालती है।
उदित राज ने भाजपा नेता नितेश राणे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जो जिहादी सोच रखता है, वही दूसरों को जिहादी कहेगा। मुझे इस देश में कोई जिहादी दिखाई नहीं देता। छोटे-मोटे झगड़े हर जगह होते हैं, चाहे वह जातियों या धर्मों के बीच हों। केवल हिंदू-मुस्लिम में ही नहीं, बल्कि जातियों में भी गहरे मतभेद हैं। इसे एक तरह का जातिगत जिहाद कह सकते हैं। उनके दिमाग में केवल जिहाद है।
उदित राज ने राहुल गांधी के हालिया कृषि कानूनों पर दिए गए बयानों का उल्लेख करते हुए कहा कि राहुल गांधी उस बिल की बात कर रहे थे, जो 2015 में बहुत खतरनाक था। इसका भारी विरोध हुआ था, जिसके बाद सरकार को इसे वापस लेना पड़ा। कुछ लोग इसे गलत समय से जोड़ रहे हैं। अरुण जेटली के बारे में राहुल गांधी का इशारा उसी बिल की ओर था।