क्या जाले विधानसभा में बाहरी प्रत्याशी को जनता स्वीकार नहीं करेगी, महागठबंधन में आपसी टकराव है?
सारांश
Key Takeaways
- जाले विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा है।
- जीवेश मिश्रा ने ऋषि मिश्रा को बाहरी करार दिया है।
- महागठबंधन में आपसी टकराव को लेकर चर्चा जारी है।
दरभंगा, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के दरभंगा जिले की जाले विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार जीवेश मिश्रा और कांग्रेस के उम्मीदवार ऋषि मिश्रा के बीच मुकाबला जारी है।
दोनों प्रत्याशी क्षेत्र में सक्रियता से जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं।
इस दौरान, भाजपा के उम्मीदवार और बिहार सरकार में मंत्री जीवेश मिश्रा ने कांग्रेस प्रत्याशी ऋषि मिश्रा को 'बाहरी' करार देते हुए सियासी माहौल में गर्मी बढ़ा दी है।
जीवेश मिश्रा ने कहा, "ऋषि मिश्रा सहरसा जिले के बलुआ से आकर जाले विधानसभा में दावेदारी कर रहे हैं। वे हमारे चुनाव प्रभारी पर सवाल उठाते हैं कि वह बेनीपुर का है, जबकि भाजपा का नियम है कि प्रभारी दूसरे विधानसभा क्षेत्र का ही होगा। लेकिन, क्या ऋषि मिश्रा को बाहरी प्रत्याशी बनकर जाले पर कब्जा करने की अनुमति है?"
उन्होंने आगे कहा, "क्या जाले विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर कोई स्थानीय व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है? बाहरी प्रत्याशी को मौका देना ठीक है, लेकिन बेनीपुर से कोई ब्राह्मण लड़का प्रभारी बने तो इन्हें आपत्ति हो रही है।"
जीवेश मिश्रा ने महागठबंधन पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, "महागठबंधन के लोग 243 सीटों की जगह 2,000 सीटों पर भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन इसे महागठबंधन नहीं, 'लठबंधन' कहना चाहिए। ये आपस में ही लड़ रहे हैं।"
उन्होंने दरभंगा की गौर-बौराम विधानसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से अफजल अली और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से संतोष सहनी को टिकट दिया गया है।
जीवेश मिश्रा ने कहा, "जाले में भी महागठबंधन को दो उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए था, ताकि दो-दो हाथ हो जाता।"
वहीं, ऋषि मिश्रा ने कहा कि वे जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और बाहरी-अंदरूनी का मुद्दा उठाकर भाजपा उनकी लोकप्रियता को कम नहीं कर सकती। उनकी प्राथमिकता विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की है।