क्या जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए? पिछली सरकार में भारत-पाकिस्तान के बीच आतंक, व्यापार और पर्यटन चलता रहा
 
                                सारांश
Key Takeaways
- जेपी नड्डा ने आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा।
- पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई।
- पिछली सरकार के दौरान आतंक, व्यापार और पर्यटन का संचालन होता रहा।
- राजनीतिक नेतृत्व का महत्व स्पष्ट किया गया।
- भारतीय सेना की कार्रवाई को सलाम किया गया।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बुधवार को राज्यसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर हो रही चर्चा के दौरान पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर आतंकवाद के मुद्दे पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में राजनीतिक नेतृत्व का महत्व अत्यधिक है। पिछली सरकार के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद, व्यापार और पर्यटन का संचालन होता रहा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कहा, "21 जुलाई को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई थी, तब मैंने कहा था कि हम 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। यह घटना अत्यंत दुखदायी है और मानवता के लिए झकझोरने वाली है। इस हमले में 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की जान गई। हम इस घटना की पूरी तरह से निंदा करते हैं। यह भी बताना चाहूंगा कि जब पहलगाम में यह हमला हुआ, उस दिन शाम पांच बजे गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर पहुंचे थे। इसके अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब का दौरा छोड़कर भारत लौटकर कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक की।
उन्होंने आगे कहा, "मैं यह बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार इस मुद्दे पर बेहद संवेदनशील है। मोदी ने कल लोकसभा में इस मुद्दे पर विस्तार से बात की है। मैं यहां यह बताना चाहता हूं कि इस ऑपरेशन के तहत जो कदम उठाए गए हैं, उनके लिए हम भारतीय सेना को सलाम करते हैं। मैं सदन के माध्यम से बताना चाहता हूं कि देश में राजनीतिक नेतृत्व बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यही नेतृत्व सशस्त्र बलों को आदेश देता है।"
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "तत्कालीन सरकार ने 2005 के दिल्ली सीरियल बम विस्फोटों, 2006 के वाराणसी आतंकी हमले, और 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोटों में कोई कार्रवाई नहीं की। मुद्दा यह है कि उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद, व्यापार और पर्यटन तीनों चलते रहे।"
उन्होंने कहा, "हमें उनकी (तत्कालीन कांग्रेस सरकार की) तुष्टिकरण की सीमा समझने की जरूरत है कि 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा जयपुर में किए गए बम धमाकों के बाद भारत और पाकिस्तान एक विशेष विश्वास-निर्माण उपाय पर सहमत हुए। वे हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उन्हें बिरयानी खिलाते रहे। उन्होंने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति दे दी। हमारे पास वही पुलिस और सेना थी, लेकिन कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। 2009 के एससीओ शिखर सम्मेलन में 2008 में हुए इतने बड़े आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं हुआ।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                            