क्या तेजी बच्चन ने जाति, संस्कृति और सत्ता की सीमाएं तोड़ीं, जिनके विचारों ने गढ़ा ‘महानायक’ और बदली सामाजिक सोच?

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क्या तेजी बच्चन ने जाति, संस्कृति और सत्ता की सीमाएं तोड़ीं, जिनके विचारों ने गढ़ा ‘महानायक’ और बदली सामाजिक सोच?

Key Takeaways

  • तेजी बच्चन ने जाति की सीमाओं को तोड़ा।
  • वे एक प्रखर अभिनेत्री और मनोवैज्ञानिक थीं।
  • उनका जीवन एक प्रेरणा है।
  • उन्होंने अपने परिवार को संस्कार दिए।
  • उनके विचारों ने सामाजिक सोच को बदलने में मदद की।

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। 1941 की एक सुंदर शाम, लाहौर के एक भव्य हॉल में इलाहाबाद का एक युवा कवि अपनी कविता "क्या करूं संवेदना लेकर तुम्हारी..." का पाठ कर रहा था। इस दौरान श्रोताओं में बैठी एक बेहद खूबसूरत और प्रखर महिला की आंखों से आंसू बहने लगे। वह कवि थे डॉ. हरिवंश राय बच्चन और वह महिला थीं तेजी सूरी.

21 दिसंबर 2007 को जब 93 वर्ष की उम्र में तेजी सूरी (तेजी बच्चन) ने अंतिम सांस ली, तो भारतीय समाज ने एक ऐसी महिला को खो दिया जिसने न केवल एक परिवार को 'संस्कार' दिए, बल्कि आधुनिक भारत की सामाजिक चेतना को भी आकार दिया।

हरिवंश राय बच्चन ने अपनी पहली पत्नी श्यामा की मृत्यु के बाद तेजी सूरी से विवाह किया। यह केवल एक प्रेम कहानी की शुरुआत नहीं थी, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के उस अध्याय का आरंभ था, जिसने आगे चलकर देश को सबसे बड़ा महानायक दिया, जिसे बॉलीवुड का बिग बी कहा गया।

तेजी बच्चन को अक्सर डॉ. बच्चन की पत्नी या अमिताभ बच्चन की मां के रूप में याद किया जाता है, लेकिन यह परिचय अधूरा है। वह एक मनोवैज्ञानिक, प्रखर अभिनेत्री, कुशल रणनीतिकार और स्वतंत्र भारत की सत्ता के गलियारों में एक मजबूत आवाज थीं।

12 अगस्त 1914 को लायलपुर (अब पाकिस्तान) में जन्मीं तेजी सूरी एक कुलीन पंजाबी सिख परिवार से थीं। उनके पिता खजान सिंह सूरी एक प्रसिद्ध बैरिस्टर थे। उस समय जब महिलाओं की शिक्षा घर की चारदीवारी तक सीमित थी, तेजी ने मनोविज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की और लाहौर के कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया।

उनका व्यक्तित्व जितना बौद्धिक था, उतना ही कलात्मक भी। यही कारण था कि जब उन्होंने एक कायस्थ कवि हरिवंश राय से विवाह का निर्णय लिया, तो यह उस समय के समाज के लिए एक क्रांतिकारी कदम था।

विवाह के बाद तेजी और हरिवंश राय ने एक ऐसा निर्णय लिया जो आज भी मिसाल है। उन्होंने अपने पूर्वजों के जातिसूचक उपनाम 'श्रीवास्तव' को त्याग दिया और डॉ. बच्चन के साहित्यिक उपनाम 'बच्चन' को अपना लिया। तेजी बच्चन का मानना था कि इंसान की पहचान उसके कर्मों से होनी चाहिए, उसकी जाति से नहीं। उनके दोनों बेटे अमिताभ और अजिताभ इसी वैचारिक स्वतंत्रता के साये में बड़े हुए।

जब बच्चन परिवार दिल्ली आया, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के परिवार के साथ उनके संबंध बेहद निजी और गहरे हो गए। विशेष रूप से इंदिरा गांधी और तेजी बच्चन के बीच एक मित्रवत रिश्ता था, जिसमें राजनीति कम और आत्मीयता ज्यादा थी।

दिलचस्प तथ्य यह है कि जब सोनिया गांधी पहली बार भारत आईं, तो तेजी बच्चन ही थीं जिन्होंने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया था। सोनिया गांधी के लिए तेजी एक 'गॉडमदर' जैसी थीं। विवाह से पहले सोनिया गांधी कई दिनों तक बच्चन परिवार के आवास '13 विलिंगडन क्रिसेंट' में रुकी थीं, जहां तेजी ने उन्हें भारतीय रीति-रिवाजों और संस्कृति की शिक्षा दी।

तेजी बच्चन के भीतर एक अद्भुत अभिनेत्री छिपी थी। जब डॉ. बच्चन ने शेक्सपियर के नाटकों का अनुवाद किया, तो तेजी ने 'लेडी मैकबेथ' का किरदार निभाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी अभिनय क्षमता को देखकर दिग्गज थियेटर कलाकार भी दांतों तले उंगली दबा लेते थे। बाद में 1973 में उन्होंने फिल्म वित्त निगम' (एफएफसी) के निदेशक के रूप में भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अमिताभ बच्चन आज जो कुछ भी हैं, उसके पीछे उनकी मां की दी हुई अनुशासन की घुट्टी है। अमिताभ अक्सर याद करते हैं कि उनकी मां संकट के समय किसी 'कमांडर' की तरह परिवार को संभालती थीं।

Point of View

हमें यह समझना चाहिए कि तेजी बच्चन का योगदान भारतीय समाज में केवल एक परिवार तक सीमित नहीं था। उन्होंने जाति और संस्कृति की सीमाओं को तोड़कर एक नई सोच का निर्माण किया। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

तेजी बच्चन का जन्म कब हुआ था?
तेजी बच्चन का जन्म 12 अगस्त 1914 को लायलपुर (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
तेजी बच्चन का परिवार में क्या स्थान था?
वे डॉ. हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और अमिताभ बच्चन की मां थीं।
तेजी बच्चन ने अपने जीवन में क्या महत्वपूर्ण योगदान दिया?
उन्होंने न केवल एक परिवार को 'संस्कार' दिए, बल्कि भारतीय सामाजिक चेतना को भी आकार दिया।
तेजी बच्चन के विवाह को क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
उनका विवाह उस समय एक क्रांतिकारी कदम था, जब उन्होंने जातिसूचक उपनाम को त्याग दिया।
तेजी बच्चन की शिक्षा के बारे में क्या जानकारी है?
उन्होंने मनोविज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की और लाहौर के कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया।
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