क्या आप जानते हैं ‘अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ की शुरुआत कैसे हुई?

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क्या आप जानते हैं ‘अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ की शुरुआत कैसे हुई?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि ‘अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ की स्थापना क्यों और कैसे हुई? इस विशेष दिन का उद्देश्य विधवाओं के अधिकारों को पहचानना और उन्हें समाज में सम्मान दिलाना है। जानिए इससे जुड़ा महत्वपूर्ण इतिहास और वर्तमान में विधवाओं की स्थिति।

Key Takeaways

  • ‘अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ का उद्देश्य विधवाओं के अधिकारों को मान्यता देना है।
  • यह दिवस हर साल 23 जून को मनाया जाता है।
  • इसकी शुरुआत 2005 में लूंबा फाउंडेशन द्वारा हुई थी।
  • विधवाओं को समाज में सम्मान दिलाने का यह एक प्रयास है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने 2010 में इस दिन को मान्यता दी।

नई दिल्ली, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। विश्व में करोड़ों विधवाएं गरीबी, सामाजिक बहिष्कार, हिंसा और भेदभाव का सामना कर रही हैं। इस स्थिति में विधवाओं के अधिकारों, सम्मान और सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस’ की स्थापना की गई, जिससे उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। यह दिवस एक वार्षिक आयोजन नहीं है, बल्कि एक आह्वान है कि हम विधवाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और उनके लिए एक समावेशी, सुरक्षित और सम्मानजनक समाज का निर्माण करें। यह दिन हमें याद दिलाता है कि विधवाएं भी हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं और उन्हें बराबरी का हक मिलना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस’ हर साल 23 जून को मनाया जाता है। यह विश्वभर में विधवा महिलाओं की आवाज को बुलंद करने और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन विधवाओं के अधिकारों, सम्मान और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। ‘अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ हमें इन महिलाओं के संघर्षों को समझने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस कदम उठाने की प्रेरणा देता है, ताकि वे गरिमापूर्ण और स्वतंत्र जीवन जी सकें।

अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस’ की शुरुआत वर्ष 2005 में ब्रिटेन स्थित लूंबा फाउंडेशन द्वारा की गई थी। इसकी स्थापना लॉर्ड राज लूंबा ने की, जिनकी मां पुष्पावती लूंबा 23 जून 1954 को विधवा हुई थीं। उनकी मां ने विधवापन के बाद सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया, जिसने इस दिवस की नींव रखने की प्रेरणा दी। हालांकि, लूंबा फाउंडेशन ने संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के लिए पांच साल का एक वैश्विक अभियान चलाया। 21 दिसंबर 2010 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को औपचारिक रूप से ‘अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस’ के रूप में मान्यता दी। वर्ष 2011 से यह दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है।

इसका उद्देश्य विधवाओं की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है, साथ ही सामाजिक कलंक, गरीबी, हिंसा और भेदभाव जैसी समस्याओं को संबोधित कर विधवाओं को आर्थिक, सामाजिक और कानूनी रूप से सशक्त बनाना है ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।

संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, विश्व में लगभग 25.8 करोड़ विधवाएं हैं, जिनमें से कम से कम 13.6 करोड़ बाल विधवाएं हैं। इसके अलावा, कई विधवाओं को शारीरिक या यौन शोषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई देशों में विधवाओं को संपत्ति, जमीन या उनके बच्चों के अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है, जिसके कारण उनकी स्थिति और भी कमजोर हो जाती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, 45 वर्ष या उससे अधिक आयु की 3.647 करोड़ विधवा महिलाएं थीं, जो इस आयु वर्ग की कुल महिलाओं की संख्या का 29 प्रतिशत था।

Point of View

बल्कि यह समाज में विधवाओं के प्रति संवेदनशीलता और उनके अधिकारों की रक्षा का एक मजबूत संदेश है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य विधवाओं के प्रति समाज की जिम्मेदारी को समझना और उन्हें सम्मान दिलाना है।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह दिन विधवाओं के अधिकारों की रक्षा और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस कब मनाया जाता है?
यह हर साल 23 जून को मनाया जाता है।
इस दिवस की शुरुआत कब हुई थी?
इसकी शुरुआत वर्ष 2005 में लूंबा फाउंडेशन द्वारा की गई थी।
क्या अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस का कोई विशेष महत्व है?
यह दिवस विधवाओं के संघर्षों को पहचानने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रेरित करता है।
क्या विधवाएं आज भी भेदभाव का सामना कर रही हैं?
हाँ, विश्वभर में विधवाएं आज भी सामाजिक, आर्थिक और कानूनी भेदभाव का सामना कर रही हैं।