क्या कर्नाटक में सड़कें खराब हैं और सीएम ने हेलीकॉप्टर यात्रा पर 47 करोड़ रुपए खर्च किए?
सारांश
Key Takeaways
- सीएम सिद्धारमैया की यात्रा पर 47 करोड़ रुपए का खर्च विवादास्पद रहा है।
- उत्तरी कर्नाटक में सड़कों की स्थिति बहुत खराब है।
- किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
- सरकार की विकास नीति पर सवाल उठ रहे हैं।
- आर. अशोक ने सरकार की एकजुटता पर भी सवाल उठाए हैं।
बेलगावी, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा चार्टर्ड फ्लाइट और हेलिकॉप्टर यात्राओं पर पिछले ढाई वर्षों में खर्च किए गए 47 करोड़ रुपए ने एक नया विवाद उत्पन्न कर दिया है। विपक्ष के नेता आर. अशोक ने व्यंग्य करते हुए कहा कि सिद्धारमैया अब 'मैसूर के मुख्यमंत्री' बनकर रह गए हैं।
अशोक का कहना है कि सीएम हर कुछ दिनों में मैसूर उड़ान भरते हैं, क्योंकि वहां उनका नया निवास बन रहा है। इसी कारण से वे अक्सर हेलीकॉप्टर का उपयोग करते हैं और इसका खर्च जनता के पैसे से उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 47 करोड़ रुपए केवल यात्रा पर खर्च किए गए हैं, जबकि दूसरी ओर उत्तरी कर्नाटक के किसान गन्ने की कम कीमतों से परेशान हैं। सरकार ने उन्हें केवल 50 रुपए प्रति टन की बढ़ोतरी दी है, जो उनके अनुसार बहुत कम है।
आर. अशोक ने बताया कि उत्तरी कर्नाटक की स्थिति बहुत गंभीर है। वहां सड़कें टूटी हुई हैं और विकास का कहीं नामो-निशान नहीं है। उन्होंने साझा किया कि पिछले हफ्ते जब वे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गए, तो केवल 5 किलोमीटर की यात्रा में डेढ़ घंटे से अधिक का समय लग गया। उनका कहना है कि यह स्थिति दर्शाती है कि सरकार विकास के नाम पर केवल बातें कर रही है, वास्तविकता में कोई काम नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि बेलगावी में विधानसभा सत्र के दौरान भी सरकार का ध्यान काम पर नहीं होता। केवल डिनर पार्टियाँ चलती रहती हैं। रात के एक-दो बजे तक बैठकों का आयोजन होता है, जिसके कारण मंत्री कैसे सही से काम कर पाएंगे?
अशोक ने यह भी बताया कि सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच मतभेद इतने हैं कि विधानसभा में भी दोनों एक-दूसरे की ओर देखते तक नहीं। सरकार एकजुट नहीं है, अंदर ही अंदर टूट चुकी है। इसलिए वे बार-बार यही कहते हैं कि सरकार समाप्त हो चुकी है, सरकार मर चुकी है।