क्या केंद्र ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए?

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क्या केंद्र ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए?

सारांश

केंद्र सरकार ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देशों की घोषणा की है, जो भारत में जैव अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक कुशल और पारदर्शी इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का प्रयास है। यह नई पहल उत्पादन में सुधार और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

Key Takeaways

  • केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उद्देश्य अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देना है।
  • नई प्रक्रियाएं कागजी कार्रवाई को सरल बनाती हैं।
  • सीएफए जारी करने में लचीलापन बढ़ाया गया है।
  • परियोजनाओं के प्रदर्शन के आधार पर वित्तीय सहायता दी जाएगी।
  • यह कदम भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगा।

नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इनका उद्देश्य भारत में जैव अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक कुशल, पारदर्शी और प्रदर्शन आधारित इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने बताया कि नए दिशा-निर्देशों में प्रक्रियाओं को सरल बनाने, वित्तीय सहायता में तेजी लाने और प्लांट के प्रदर्शन के साथ समर्थन को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये दिशा-निर्देश निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए ईज-ऑफ-डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए हैं।

नए ढांचे के तहत कई प्रक्रियाओं को सरल किया गया है, जिसमें कागजी कार्रवाई में कटौती और अनुमोदन आवश्यकताओं को कम करना शामिल है।

ये परिवर्तन पराली, औद्योगिक कचरे सहित अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य से जुड़े हैं।

संशोधित दिशा-निर्देशों का एक महत्वपूर्ण पहलू केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) जारी करने की प्रक्रिया में सुधार है।

मंत्रालय ने कहा, "डेवलपर्स द्वारा 80 प्रतिशत उत्पादन हासिल करने में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, सीएफए जारी करने की योजना में लचीलापन प्रदान किया गया है।" पहले कंपनियों को सहायता प्राप्त करने के लिए 80 प्रतिशत उत्पादन तक पहुंचने तक इंतजार करना पड़ता था।

नई दिशा-निर्देशों के अनुसार, सीएफए को दो चरणों में जारी किया जाएगा। परियोजनाओं के प्रदर्शन के आधार पर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद कुल सीएफए का 50 प्रतिशत जारी किया जाएगा।

सरकार ने कहा, "यदि कोई प्लांट प्रदर्शन निरीक्षण के दौरान 80 प्रतिशत उत्पादन प्राप्त नहीं करता है, तो प्रतिशत उत्पादन के आधार पर वितरण का प्रावधान किया गया है। हालांकि, यदि पीएलएफ 50 प्रतिशत से कम है, तो सीएफए नहीं दिया जाएगा।"

Point of View

बल्कि यह भारत के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को भी साकार करेगा।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

संशोधित दिशा-निर्देशों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
संशोधित दिशा-निर्देशों का मुख्य उद्देश्य भारत में जैव अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक कुशल और पारदर्शी इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है।
सीएफए जारी करने की प्रक्रिया में क्या बदलाव हुए हैं?
सीएफए अब दो चरणों में जारी किया जाएगा, जिससे डेवलपर्स को उत्पादन के आधार पर सहायता प्राप्त करने में अधिक लचीलापन मिलेगा।