क्या केंद्र सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों को पुनः स्थापित करने में मदद कर रही है?: एलजी मनोज सिन्हा

Click to start listening
क्या केंद्र सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों को पुनः स्थापित करने में मदद कर रही है?: एलजी मनोज सिन्हा

सारांश

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्राकृतिक आपदा के बाद केंद्र सरकार की सहायता की पुष्टि की। उन्होंने सामाजिक जुड़ाव पर जोर दिया और नागरिकों से नैतिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की। क्या आपदा के बाद जम्मू-कश्मीर का जीवन सामान्य होगा?

Key Takeaways

  • केंद्र सरकार जम्मू-कश्‍मीर को पुनः स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान कर रही है।
  • सामाजिक जुड़ाव और नैतिक जिम्मेदारी महत्वपूर्ण हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों पर अतिक्रमण से बचना चाहिए।
  • आपदा से सीखना और आत्म-मंथन करना आवश्यक है।
  • आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकता है।

जम्मू, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्‍मू-कश्‍मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने सोमवार को स्वच्छता ही सेवा–2025, स्वच्छता विजयोत्सव कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जम्मू के कन्वेंशन सेंटर का दौरा किया। इस अवसर पर उन्‍होंने जम्मू में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्‍मीर को पुनः स्थापित करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि जल्‍द ही यहां के निवासियों का जीवन सामान्य हो जाएगा।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि अगस्त में जम्मू-कश्‍मीर में आई भयंकर आपदा के कारण जिन परिवारों को भारी नुकसान हुआ, उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं। गृह मंत्री अमित शाह और उनकी टीम ने नुकसान का आकलन किया है। भारत सरकार जम्मू-कश्‍मीर को पुनः स्थापित करने के लिए सहायता प्रदान करेगी। हमारा उद्देश्य है कि जल्द से जल्द ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी को सामान्य किया जाए। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समाज के लोगों से अपील है कि ऐसे समय में सामाजिक जुड़ाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आना चाहिए। नागरिकों की भी एक नैतिक जिम्मेदारी है।

नदियों के किनारे अतिक्रमण करके घर बनाना तात्कालिक लाभ दे सकता है, लेकिन ऐसी प्राकृतिक आपदाओं में हम अपने लोगों को खो देते हैं।

उन्‍होंने कहा कि अधिकारियों को इस पर सतर्क दृष्टि रखने की आवश्यकता है। कानून सभी के लिए है, लेकिन इसका पालन मानवीय संवेदना के साथ जमीनी स्तर पर होना चाहिए, यह हम सबकी जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस अभियान में प्रशासन से ज्यादा भूमिका समाज के जिम्मेदार नागरिकों को निभानी होगी। अपने क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों पर जबरदस्ती अतिक्रमण हो रहा है, इसके लिए उचित वातावरण तैयार करना होगा। जब प्रशासन अतिक्रमण हटाने के लिए पहुँचता है तो बहुत से लोग इसका विरोध करते हैं। जम्मू-कश्‍मीर में आई प्राकृतिक आपदा से सभी को कुछ सीख लेनी चाहिए और यह आत्म-मंथन का एक अवसर है।

इससे पहले, 27 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में पहाड़ी जनजातीय समुदाय के एक सम्मेलन को संबोधित किया था। इस दौरान उन्‍होंने बताया कि केंद्र सरकार पहाड़ी जनजातीय समुदाय को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मनोज सिन्हा ने अपने भाषण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहाड़ी जातीय समूहों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के ऐतिहासिक निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

Point of View

बल्कि यह पूरे देश के लिए एक चेतावनी है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का यह बयान दर्शाता है कि केंद्र सरकार इस संकट को गंभीरता से ले रही है और पुनःस्थापना के प्रयासों में जुटी हुई है। समाज का सहयोग भी इस पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक है।
NationPress
29/09/2025

Frequently Asked Questions

केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर की आपदा के लिए क्या कदम उठा रही है?
केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को पुनः स्थापित करने के लिए हर संभव मदद कर रही है, जिसमें नुकसान का आकलन और राहत कार्य शामिल हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आपदा के बारे में क्या कहा?
उन्होंने कहा कि यह आपदा गंभीर है और सरकार इसे लेकर गंभीरता से कार्य कर रही है।