क्या केरल के शिक्षक को पॉक्सो मामले में उम्रकैद मिली?
सारांश
Key Takeaways
- केरल में पॉक्सो मामला
- आजीवन कारावास की सजा
- राजनीतिक विवाद
- पुलिस जांच की जटिलताएं
- सामाजिक न्याय की आवश्यकता
कन्नूर, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केरल के कन्नूर स्थित पलाथई में एक बच्ची के साथ यौन शोषण करने वाले शिक्षक को पॉक्सो कानून के तहत सजा दी गई है। चौथी कक्षा की छात्रा का यौन उत्पीड़न करने वाले शिक्षक के. पद्मराजन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही, अदालत ने उन पर एक भारी जुर्माना भी लगाया है।
दोषी को पॉक्सो कानून के तहत 40 साल जेल में बिताने की सजा दी गई है। थालास्सेरी फास्ट-ट्रैक पॉक्सो कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने शुक्रवार को पद्मराजन को दोषी ठहराया था, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का पूर्व नेता भी रह चुका है।
पॉक्सो के तहत उसे अधिकतम बीस साल या उम्र कैद की सजा हो सकती थी। इस मामले ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा किया है क्योंकि जांच दल को पांच बार बदला गया था और अंतरिम आरोपपत्र में पॉक्सो की धाराएं शामिल नहीं की गई थीं।
पद्मराजन पर सेक्शन 376एबी (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। उसे 10 वर्षीय बच्ची का स्कूल के भीतर और बाहर यौन शोषण करते हुए दोषी पाया गया। उसने बच्ची के साथ ऐसा जनवरी और फरवरी 2020 में तीन बार किया।
पनूर पुलिस ने थालास्सेरी के पुलिस उपाधीक्षक से शिक्षक की शिकायत की थी। प्रारंभिक जांच में शिकायत को फर्जी माना गया, जिसके बाद आम लोगों ने इसका जबरदस्त विरोध किया। 15 अप्रैल, 2020 को पद्मराजन को उसके रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद जांच को क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था।
क्राइम ब्रांच ने अपनी चार्जशीट में पॉक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज नहीं किया था। पांच अलग-अलग जांच टीमों ने तहकीकात की और इसके बाद मई 2021 में अंतिम आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।
फरवरी 2024 में मुकदमा शुरू हुआ और थालास्सेरी पॉक्सो कोर्ट ने अंततः आरोपी को दोषी पाया। अभियोजन पक्ष ने शुक्रवार को कहा था कि आरोपी अधिकतम सजा का हकदार है और राहत की बात है कि पीड़िता को बाल दिवस (14 नवंबर) पर न्याय मिला।
सजा सुनाए जाने से पहले, अभियोजन पक्ष ने अदालत से कठोरतम दंड देने का आग्रह किया। वहीं, बचाव पक्ष ने दलील दी कि मामला राजनीति से प्रेरित है। पद्मराजन ने नरमी बरतने की अपील करते हुए कहा कि उनके परिवार में उनकी पत्नी, बच्चे और मां हैं।
इसके जवाब में अदालत ने कहा कि उसने केवल मामले के गुण-दोष की जांच की थी। इस बीच, माकपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक एम.वी. जयराजन ने अदालत के फैसले की सराहना की और कहा कि जो भी फैसला सुनाया गया उससे सियासत का कुछ लेना देना नहीं है।