क्या केवड़िया में ई़डी की 33वीं क्वार्टरली कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन हुआ?
सारांश
Key Takeaways
- जांच प्रक्रिया में तकनीकी संसाधनों का उपयोग आवश्यक है।
- वित्तीय अपराधों के लिए ठोस रणनीतियाँ बनाई जा रही हैं।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि की आवश्यकता है।
- व्यक्तिगत अधिकारों को संतुलित करना महत्वपूर्ण है।
- ईडी की प्रतिबद्धता आर्थिक अपराधों के खिलाफ है।
केवड़िया, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 5-6 दिसंबर को केवड़िया में जोनल ऑफिसर्स की अपनी 33वीं क्वार्टरली कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। दो दिन की इस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक ने की, जिसमें सभी स्पेशल डायरेक्टर्स, एडिशनल डायरेक्टर्स, जॉइंट डायरेक्टर्स और डिप्टी/असिस्टेंट लीगल एडवाइजर्स शामिल हुए।
इस 33वीं क्वार्टरली कॉन्फ्रेंस में टेक्नोलॉजी के कुशल उपयोग के माध्यम से जांच प्रक्रिया को तेज करने और मामलों के समाधान पर जोर दिया गया। आयोजित सत्र में सबूत इकट्ठा करने, विश्लेषणात्मक क्षमताओं को मजबूत करने और जटिल वित्तीय अपराधों की जांच में तेजी लाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस, फोरेंसिक टूल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ओएसआईएनटी तकनीक और डिजिटल संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कॉन्फ्रेंस के दौरान यह भी बताया गया कि वित्तीय प्रणाली और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अधिक खतरा उत्पन्न करने वाले उच्च प्रभाव वाले मामलों की पहचान करना आवश्यक है। इसके साथ ही, सबूत इकट्ठा करने और बदलते अपराध पैटर्न के अनुरूप एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, विशेषकर मनी लॉन्ड्रिंग, मानव तस्करी और ड्रग तस्करी जैसे क्षेत्रों में। एफडीआई उल्लंघन, ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट का दुरुपयोग और पैसे भेजने के लिए क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग जैसे विभिन्न अपराधों पर भी चर्चा हुई।
भगोड़ों को ट्रैक करने और जांच या ट्रायल से बचने वाले व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की प्रक्रिया को मजबूत करने पर भी चर्चा की गई। घोषित अपराधी कार्यवाही, भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषणा, रेड नोटिस और प्रत्यर्पण प्रक्रिया जैसे कानूनी विकल्पों के प्रभावी उपयोग पर जोर दिया गया। आर्थिक अपराध जांच में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और संबंधित सरकारी एजेंसियों के बीच समय पर संचार और समन्वय सुनिश्चित करने पर भी विचार किया गया।
ईडी के निदेशक ने व्यक्तिगत अधिकारों के साथ प्रवर्तन को संतुलित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। पिछले क्वार्टरली कॉन्फ्रेंस की चर्चाओं को आगे बढ़ाते हुए, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के प्रावधानों पर भी विचार किया गया, खासकर इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा ईडी के साथ सलाह लेकर जारी नए सर्कुलर के संदर्भ में। इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क के दुरुपयोग, जैसे बैकडोर एसेट खरीदना, कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में हेरफेर और बिना बताए मुनाफे के लेन-देन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया गया।
बैंक परिसंपत्ति नीलामी नेटवर्क प्लेटफॉर्म और जब्त की गई संपत्तियों की पारदर्शी और कुशल नीलामी और निपटान सुनिश्चित करने की इसकी क्षमता पर एक विशेष सत्र आयोजित हुआ। चर्चाओं में एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से एसेट निपटान में इसके औपचारिक उपयोग की संभावना पर भी बात की गई।
कॉन्फ्रेंस के दौरान टेक्नोलॉजी-आधारित जांच, विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम का निपटारा, अघोषित विदेशी संपत्ति (ब्लैक मनी) से निपटने, प्रशासनिक मुद्दों (फील्ड ऑफिस में सीआईएसएफ सुरक्षा की तैनाती, वाहनों का आवंटन सहित) पर भी चर्चा हुई।
इसके साथ ही एजेंसी के भीतर सहयोग बढ़ाने, भविष्य के लिए सक्रिय रणनीतियाँ अपनाने और मनी लॉन्ड्रिंग, फॉरेन एक्सचेंज उल्लंघन व अन्य आर्थिक अपराधों के खिलाफ कानूनों को सख्ती से लागू करने के लिए ईडी की प्रतिबद्धता पर भी विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।