किस धातु के बर्तन में बना खाना औषधि समान?
सारांश
Key Takeaways
- पीतल स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- कांसा रोग प्रतिरोधक है।
- मिट्टी के बर्तन पोषक तत्वों को सुरक्षित रखते हैं।
- लोहे के बर्तन आयरन की पूर्ति करते हैं।
- तांबा पानी को शुद्ध करता है।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सही बर्तन में भोजन बनाना केवल स्वाद को बढ़ाने का कार्य नहीं है, बल्कि यह भोजन को एक औषधि की तरह बना कर शरीर को पोषण और रोगों से सुरक्षा भी प्रदान करता है। आयुर्वेद के अनुसार, जिस धातु के बर्तन में खाना पकाया जाता है, वह भोजन की गुणवत्ता को 30 से 40 प्रतिशत तक प्रभावित करता है। आज के आधुनिक रसोई में स्टील, नॉन-स्टिक और एल्युमिनियम के बर्तन आम दिखाई देते हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए कुछ विशेष धातुएं सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
सबसे पहले पीतल है। आयुर्वेद के अनुसार, पीतल भोजन में सत्व को बढ़ाता है, पित्त को संतुलित करता है और पाचन में सुधार करता है। पीतल के बर्तन में बनी दाल या हल्की खिचड़ी में प्रोटीन और पोषक तत्वों की बायोअवेलेबिलिटी लगभग 30 प्रतिशत तक बेहतर होती है। यही वजह है कि प्राचीन समय में प्रत्येक घर में दाल पीतल के भगोने में बनाई जाती थी। पीतल के बर्तन दाल, सब्जी और कढ़ी बनाने के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।
दूसरा कांसा है। इसे रोग प्रतिरोधक और पाचन सुधारने वाला धातु माना गया है। कांसा त्रिदोष-नाशक होता है और वात-पित्त को संतुलित करता है। इसके थालियों और कटोरियों में रखा खाना अधिक समय तक सुरक्षित रहता है। शोधों से यह ज्ञात हुआ है कि कांसे की थाली में खाना खाने से जठराग्नि बढ़ती है और हीमोग्लोबिन में सुधार होता है।
मिट्टी के बर्तन भी बहुत लाभकारी होते हैं। इनमें खाना धीमी आंच पर पकता है, जिससे पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं और भोजन हल्का अल्कलाइन बनता है। दाल, खिचड़ी, बिरयानी और दही बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन सर्वोत्तम होते हैं। दही में प्रोबायोटिक्स की मात्रा मिट्टी के बर्तन में सबसे अधिक पाई जाती है।
लोहे के बर्तन आयरन की प्राकृतिक पूर्ति करते हैं। आयुर्वेद में लोहमय पका भोजन रक्तवर्धक माना गया है। लोहे की कड़ाही में पकी पालक या दाल में 8 से 10 मिलीग्राम अतिरिक्त आयरन मिलता है, जो किसी सप्लीमेंट से भी अधिक बायोअवेलेबल होता है। यह विशेष रूप से महिलाओं में हीमोग्लोबिन सुधारने में मदद करता है।
तांबे के बर्तन का उपयोग मुख्यतः पानी को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। तांबे का जल पाचन और लिवर डिटॉक्स के लिए उत्तम होता है। कांसे और तांबे के बर्तनों में रखा पानी 99 प्रतिशत माइक्रोऑर्गेनिज्म को नष्ट कर देता है।
इसके अलावा, कुछ धातुओं से बचना चाहिए, जैसे एल्युमिनियम, नॉन-स्टिक और सस्ता स्टील।