क्या विश्वसनीय और वैज्ञानिक तरीकों से फसल क्षति का सटीक आकलन संभव है?: शिवराज सिंह चौहान
                                सारांश
Key Takeaways
- किसानों को शीघ्र मुआवजा प्रदान करने के लिए बीमा कंपनियों को निर्देशित किया गया है।
 - फसल क्षति का सटीक आकलन करने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाने की जरूरत है।
 - राज्यों की लापरवाही के लिए केंद्र को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
 - मुआवजा भुगतान में देरी करने वाले राज्यों से 12 प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा।
 - किसानों की सुरक्षा के लिए पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
 
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को बीमा कंपनियों और अधिकारियों को फसल बीमा दावों में सभी विसंगतियों को समाप्त करने और किसानों को उनका पूरा भुगतान शीघ्रता से सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में प्रक्रियागत खामियों के कारण किसानों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के कार्यान्वयन और कुछ किसानों को असामान्य रूप से कम दावा राशि मिलने की शिकायतों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि एक रुपए, तीन रुपए या पांच रुपए का दावा किसानों के साथ मजाक है। सरकार इस प्रकार की प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।
उन्होंने ऐसे मामलों की पूरी जांच के आदेश दिए और बीमा कंपनियों और राज्य के अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्वसनीय और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके फसल क्षति का सटीक आकलन किया जाना चाहिए।
बैठक के दौरान चौहान ने महाराष्ट्र के उन किसानों से वर्चुअल माध्यम से बातचीत की, जिन्हें भारी फसल नुकसान के बावजूद मामूली मुआवजा मिला था। उन्होंने राज्य और केंद्र दोनों के अधिकारियों से दावों की गणना में विसंगतियों के बारे में सवाल किए और तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की।
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में अपने निर्वाचन क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे कुछ बीमित किसानों को नुकसान दर्ज होने के बावजूद मात्र एक रुपए का मुआवजा मिला। उन्होंने इसे स्पष्ट अन्याय बताया और चेतावनी दी कि जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने इस समस्या के समाधान के लिए पीएमएफबीवाई के सीईओ को उन सभी मामलों में जमीनी जांच करने का निर्देश दिया, जहां दावा राशि 1 रुपए से 5 रुपए तक कम है।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए फसल क्षति सर्वेक्षण के दौरान बीमा कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद रहें।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ राज्य बीमा सब्सिडी के अपने हिस्से में देरी कर रहे हैं, जिससे किसानों के दावों का भुगतान रुका हुआ है। राज्यों की लापरवाही के लिए केंद्र को दोष नहीं दिया जाना चाहिए। भुगतान में देरी करने वाले राज्यों से अब 12 प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा।
मंत्री ने अधिकारियों से योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि किसानों को दावा प्रक्रिया की पूरी जानकारी हो।
चौहान ने कहा कि मैंने किसानों के हित में सख्त निर्देश जारी किए हैं, दावों का शीघ्र और एक साथ भुगतान किया जाना चाहिए और सभी विसंगतियों का समाधान किया जाना चाहिए।