क्या कुड़मी आंदोलनकारियों ने झारखंड में रेलवे ट्रैक जाम कर दिया?

सारांश
Key Takeaways
- कुड़मी जाति की आदिवासी दर्जे की मांग
- 15 से अधिक स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर धरना
- हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर प्रभाव
- कड़े सुरक्षा इंतजाम
- आंदोलन का ऐतिहासिक महत्व
रांची, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कुड़मी जाति को आदिवासी (एसटी) का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर हजारों लोग शनिवार सुबह से झारखंड के 15 से अधिक स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर धरना देकर बैठे हैं। इस आंदोलन के कारण हावड़ा-नई दिल्ली मेन रेल लाइन प्रभावित हो गई है, जिससे रेलवे को कई ट्रेनें रद्द या डायवर्ट करनी पड़ी हैं।
रांची के राय, मुरी, टाटीसिल्वे और मेसरा स्टेशन के निकट आंदोलनकारियों ने ट्रैक पर कब्जा कर लिया है। गिरिडीह, चक्रधरपुर, जामताड़ा, धनबाद और बोकारो में बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों को रोकने के लिए ट्रैक पर उतर आए हैं। धनबाद के प्रधानखंता स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रेलवे ट्रैक से हटाने की कोशिश की, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई। अधिकांश स्टेशनों पर प्रदर्शनकारी शनिवार सुबह से पारंपरिक वेशभूषा और ढोल-मांदर के साथ ट्रैक पर बैठे हैं।
कुड़मी समाज ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 100 स्टेशनों पर रेल सेवाओं को ठप करने का लक्ष्य रखा है, जिनमें झारखंड के लगभग 40 स्टेशन शामिल हैं। प्रशासन ने देर रात तक पुलिस को बैरिकेडिंग करने के लिए तैनात किया, लेकिन आंदोलनकारी सुबह चार बजे से ही स्टेशनों पर पहुंचने लगे। रेलवे परिचालन पर इसका असर दिखने लगा है।
धनबाद मंडल ने हटिया-बर्द्धमान मेमू (13504) और हटिया-खड़गपुर मेमू (18036) को रद्द कर दिया है। धनबाद-अलाप्पुझा एक्सप्रेस (13351) का प्रस्थान समय 11:35 बजे से बदलकर शाम 6:35 बजे किया गया है। रांची-चोपन एक्सप्रेस (18613) को भी रांची-टोरी मार्ग से डायवर्ट किया गया है। गिरिडीह के पारसनाथ, बोकारो के चंद्रपुरा और रांची के राय रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने ट्रैक जाम कर दिया, जिससे अप और डाउन लाइन पर परिचालन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।
आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि यह ‘ऐतिहासिक प्रदर्शन’ है और इसके लिए गांव-गांव में प्रचार-प्रसार कर लोगों को जोड़ा गया। रेलवे और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। आरपीएफ, जीआरपी और राज्य पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जो लोग रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाएंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और नुकसान की भरपाई कराई जाएगी। आजसू पार्टी और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के विधायक जयराम महतो ने आंदोलन का समर्थन किया है।
जयराम महतो ने वीडियो संदेश में कहा कि यह संघर्ष केवल आदिवासी दर्जे के लिए ही नहीं, बल्कि कुरमाली भाषा के सम्मान और जमीन बचाव जैसे मुद्दों को लेकर भी है।