क्या आपातकाल के तहत लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध स्वीकार्य है?

Click to start listening
क्या आपातकाल के तहत लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध स्वीकार्य है?

सारांश

कांग्रेस नेता अनिल कुमार शास्त्री ने आपातकाल के 50 वर्षों पर बात करते हुए लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को अस्वीकार करने की बात कही। उन्होंने वर्तमान स्थिति की तुलना अघोषित आपातकाल से की और जनता की प्रतिक्रिया पर चर्चा की। जानिए उनके विचारों को विस्तार में।

Key Takeaways

  • लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध अस्वीकार्य है।
  • 1975 का आपातकाल जनमानस के लिए एक भयानक अनुभव था।
  • जनता का गुस्सा क्षणिक होता है, और वे अपनी गलती सुधारते हैं।
  • कांग्रेस पार्टी को 1980 और 84 में प्रचंड बहुमत मिला।
  • भाजपा अपने कुशासन से ध्यान हटाने के लिए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मना रही है।

नई दिल्‍ली, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार शास्त्री ने बुधवार को कहा कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई भी प्रतिबंध अस्वीकार्य है। इससे पहले, राहुल गांधी ने भी हाल ही में आपातकाल को गलत बताया था।

अनिल कुमार शास्त्री, जो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं, ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मुझे याद है कि मैं 25 जून 1975 को मुंबई में एक युवा था। अगले दिन, मैंने देखा कि विरोध के प्रतीक स्वरूप एक निजी अखबार का संपादकीय कॉलम खाली था। राहुल गांधी ने हाल ही में यह स्वीकार किया कि आपातकाल गलत था। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध अस्वीकार्य है।"

केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "आज के समय में एक अघोषित आपातकाल चल रहा है। यदि कोई भी सरकार के खिलाफ बोलता है, तो उसे जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ता है।"

आपातकाल के समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 1975 में जब आपातकाल की घोषणा की गई तो जनमानस ने इसे स्वीकार नहीं किया, जिसके कारण 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी हार गई। उस समय इंदिरा गांधी भी अपनी रायबरेली की सीट नहीं बचा पाईं। लेकिन जनता पार्टी के कुशासन की वजह से लोगों को यह अहसास हुआ कि देश को कांग्रेस पार्टी की सरकार ही चलानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि तीन साल बाद 1980 और 84 में कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला, और 2004 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही। लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक अच्छी बात यह है कि जनता का गुस्सा क्षणिक होता है। जनता हर बार अपनी गलती को सुधारती है।

भाजपा की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा अपने कुशासन से ध्यान हटाने के लिए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ मनाने में व्यस्त है। कुशासन के कारण सरकार की योजनाएं सफल नहीं हो रही हैं।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने पीएम मोदी को प्राइम एसेट ऑफ इंडिया बताया, इस पर उन्होंने कहा, "यह थरूर का व्यक्तिगत बयान है। मोदी सरकार की विदेश नीति की प्रशंसा करना उनकी सोच हो सकती है। पीएम की सराहना के साथ ही थरूर को नोटबंदी और जीएसटी जैसे मुद्दों पर भी बोलना चाहिए। थरूर पर कार्रवाई करनी है या नहीं, यह हाईकमान तय करेगा।"

Point of View

आज भी यह जरूरी है कि हम इस पर चर्चा करें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

आपातकाल का क्या महत्व है?
आपातकाल एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है जिसने भारत के लोकतंत्र पर गहरा प्रभाव डाला।
क्या आज भी आपातकाल जैसी स्थिति है?
कांग्रेस नेता अनिल कुमार शास्त्री के अनुसार, आज भी एक अघोषित आपातकाल की स्थिति है।
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्यों महत्वपूर्ण है?
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक लोकतंत्र के स्तंभ है, जो नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने की अनुमति देती है।
राहुल गांधी ने आपातकाल के बारे में क्या कहा?
राहुल गांधी ने हाल ही में आपातकाल को गलत बताया था।
अनिल कुमार शास्त्री कौन हैं?
अनिल कुमार शास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं।