क्या बार-बार प्रयोग सफल नहीं होते? वोटर अधिकार यात्रा पर मंत्री जयवीर सिंह

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' पर जयवीर सिंह की कड़ी प्रतिक्रिया।
- बार-बार प्रयोग सफल नहीं होते हैं।
- भारतीय निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली का समर्थन।
- परशुरामपुरी का नाम बदलना एक सकारात्मक कदम।
- राजनीति में स्वच्छता लाने के लिए विधेयक का महत्व।
लखनऊ, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जयवीर सिंह ने राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' और उनके द्वारा लगाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की मंशा 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके प्रयोग से प्रेरित है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया था कि यदि भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला, तो वह संविधान में परिवर्तन कर देंगे।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का जो प्रयोग भ्रम फैलाकर लोकसभा चुनाव में किया गया, उससे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कुछ लाभ मिला, और अब वही रणनीति दोहराते हुए वह बिहार में जनता को गुमराह कर रहे हैं।
उन्होंने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए 'वोट चोरी' के मुद्दे को निराधार और बेबुनियाद करार दिया।
भारतीय निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा है और यह सुनिश्चित कर रहा है कि वैध मतदाताओं के नामों को हटाया न जाए। आयोग का यह कर्तव्य है कि वोटर लिस्ट से मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाएं।
उन्होंने जनता से अपील की कि वह राहुल गांधी के भ्रम जाल में न आएं।
शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद कस्बे का नाम बदलकर परशुरामपुरी किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है। गुलामी के प्रतीकों को हटाया जा रहा है। मैं मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को इस कदम पर बधाई देता हूं। जनभावनाओं के अनुरूप, राज्य सरकार इस क्षेत्र को गुलामी के प्रतीकों से मुक्त करने के लिए प्रयासरत है।
लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए विधेयक के संबंध में उन्होंने कहा कि यह विधेयक राजनीति में स्वच्छता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यह संदेश देता है कि अपराधी राजनीति में भाग नहीं ले सकते और इसका उद्देश्य एक अपराध मुक्त वातावरण बनाना है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इन विधेयकों को जबरन लागू नहीं करना चाहती, इसलिए इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सांसद, जिनमें विपक्षी सांसद भी शामिल होंगे, व्यापक चर्चा करेंगे। इसके बाद सरकार इस विधेयक पर अंतिम निर्णय लेगी।