क्या भारतीय मुसलमानों की छवि को वैश्विक मंच पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही है? : प्रियंक कानूनगो

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क्या भारतीय मुसलमानों की छवि को वैश्विक मंच पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश हो रही है? : प्रियंक कानूनगो

सारांश

क्या भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है? प्रियंक कानूनगो ने जावेद मलिक द्वारा दर्ज शिकायत की गंभीरता पर प्रकाश डाला है। जानिए इस मामले में क्या कहा गया है और इसकी राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव क्या हो सकते हैं।

Key Takeaways

  • विदेशी अनुदान का उपयोग भारत की छवि को धूमिल करने के लिए किया जा रहा है।
  • प्रियंक कानूनगो ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि यह राष्ट्रद्रोह के समान है।
  • आईएएमसी द्वारा अनुदान प्राप्त करना एफसीआरए का उल्लंघन है।
  • दिल्ली विस्फोट मामले में मीडिया की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
  • संविधान ने सभी को अपने धर्म का पालन करने की इजाजत दी है।

नई दिल्ली, १२ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच के प्रमुख जावेद मलिक ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के पास एक शिकायत प्रस्तुत की है।

उन्होंने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि अमेरिका स्थित इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर पत्रकारों को भारत में अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जाति वर्ग के उत्पीड़न और भेदभाव की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिए बड़े पैमाने पर अनुदान प्रदान कर रहा है।

प्रियंक कानूनगो ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जावेद मलिक ने उन्हें शिकायत की है कि जब ऐसी रिपोर्टें प्रकाशित होती हैं, तो यह भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाती हैं।

उन्होंने बताया कि जावेद मलिक ने एक थिंक टैंक की रिपोर्ट के साथ यह शिकायत दी है, जिसमें कहा गया है कि जब पत्रकार अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जाति के उत्पीड़न की खबरों को प्रमुखता देते हैं, तो इससे संबंधित मीडिया हाउस गारंटी पत्र लेते हैं कि इस अखबार का सर्कुलेशन क्या होगा। सर्कुलेशन के आधार पर विदेश से अनुदान प्राप्त होता है।

मलिक ने कहा कि विदेशों से प्राप्त अनुदान एफसीआरए का उल्लंघन है। फॉरेन कंट्रीब्यूशन को रेगुलेट करने वाले कानून के अनुसार, बिना अनुमति के किसी पब्लिशिंग हाउस, एडिटर या रिपोर्टर को ऐसा अनुदान नहीं दिया जा सकता है। पिछले कई वर्षों से पत्रकारों के एक वर्ग को यह अनुदान मिल रहा है। इस कारण विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी है।

उन्होंने कहा कि भारत में अन्य मुस्लिम देशों की तुलना में सबसे अधिक मुसलमान हैं। हमारा संविधान सभी को धर्मनिरपेक्षता के तहत अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देता है। ऐसे में चयनित रिपोर्टिंग करके देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास राष्ट्रद्रोह के समान है।

कानूनगो का कहना है कि आईएएमसी को नेशनल फ्लैन्थ्रोफी ट्रस्ट अमेरिका से भी धन मिलता है। ऐसे में अनुदान प्राप्त करके भारतीय मुसलमानों और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध है। उन्होंने संबंधित मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।

उन्होंने बताया कि एफसीआरए कानून की धाराएँ ३, ४ और ११ का उल्लंघन हुआ है। इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी, जिन्होंने धन प्राप्त किया है।

दिल्ली विस्फोट मामले पर, उन्होंने कहा कि पुलिस ने जांच शुरू की थी कि मीडिया के एक वर्ग ने इसे सीएनजी ब्लास्ट से जोड़ा और कहा कि इसे आतंकवाद से जोड़ना नाइंसाफी है। जांच एजेंसियों को यह स्पष्ट करना पड़ा कि यह सीएनजी ब्लास्ट नहीं है। क्या इस तरह की रिपोर्टिंग के पीछे विदेशी फंडिंग का हाथ है? क्या इस मामले में वे लोग शामिल हैं जिन्हें आईएएमसी से धन मिला है?

उन्होंने कहा कि अगर पढ़े-लिखे लोग आतंकवादी बन रहे हैं, तो इस प्रकार की मुस्लिम प्रताड़ना की खबरें बनाकर उन्हें प्रभावित करना, क्या इसमें भी इस तरह की खबरों का असर है? क्या इस तरह के नेरेटिव बनाने वाले पत्रकारिता का भी असर है? इसकी भी जांच होनी चाहिए।

Point of View

बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या शिकायत का वास्तविक कारण है?
जावेद मलिक ने आरोप लगाया है कि विदेशी अनुदान के माध्यम से भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
आईएएमसी का क्या भूमिका है?
आईएएमसी अल्पसंख्यक समुदाय के उत्पीड़न की खबरों को प्रमुखता देने के लिए पत्रकारों को अनुदान प्रदान करता है।
एफसीआरए कानून का उल्लंघन कैसे हो रहा है?
विदेश से प्राप्त अनुदान बिना अनुमति के पत्रकारों को दिया जा रहा है, जो कि एफसीआरए कानून का उल्लंघन है।
कानूनगो का क्या कहना है?
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि भारतीय मुसलमानों की छवि को धूमिल करने का प्रयास गंभीर अपराध है।
दिल्ली विस्फोट मामले में क्या हुआ?
मीडिया ने इसे सीएनजी ब्लास्ट से जोड़ने की कोशिश की, जो जांच एजेंसियों द्वारा गलत पाया गया।