क्या एक एजेंडे के तहत उदयपुर फाइल्स जैसी फिल्म बनाई जा रही है? : एसटी हसन

सारांश
Key Takeaways
- उदयपुर फाइल्स पर राजनीतिक विवाद गहरा गया है।
- एसटी हसन ने इसे एजेंडे के तहत बनाए जाने का आरोप लगाया है।
- फिल्मों में साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- समाज में नफरत फैलाने वाली फिल्मों के खिलाफ एकजुटता आवश्यक है।
- कानूनी दृष्टिकोण से धर्म परिवर्तन का मामला प्रशासनिक है।
मुरादाबाद, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान के चर्चित कन्हैया लाल टेलर की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स को लेकर सियासी विवाद गहरा गया है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने इस फिल्म पर गंभीर आपत्ति जताई है। अब समाजवादी पार्टी (सपा) जमीयत उलेमा ए हिंद के समर्थन में खड़ी हो गई है। इस संदर्भ में सपा नेता और पूर्व सांसद एसटी हसन ने कहा कि एक स्पष्ट एजेंडे के तहत उदयपुर फाइल्स जैसी फिल्म का निर्माण किया जा रहा है।
सपा के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि आज फिल्म इंडस्ट्री भी राजनीति में अपनी भूमिका निभाने लगी है। यह समाज को विभाजित करने में भी सहायक बन रही है। उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि फिल्म में कुछ ऐसे तत्व हैं, जिनका मुसलमानों को कभी भी सामना नहीं करना चाहिए। हम अपने आका के बारे में कोई भी अपमान सहन नहीं करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि जानबूझकर इस प्रकार की घटनाओं पर फिल्में बनाई जा रही हैं और उदयपुर फाइल्स जैसी फिल्म एक विशेष घटना पर आधारित है। हमने भी उस घटना की निंदा की थी। लेकिन सवाल यह है कि अब तक मॉब लिंचिंग पर कोई फिल्म क्यों नहीं बनाई गई? उस पर भी फिल्म बनानी चाहिए थी।
एसटी हसन ने कहा कि पहले फिल्मों में साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जाता था। अब जो फिल्में आ रही हैं, जैसे कश्मीर फाइल्स, उसमें दिखाया गया है कि कश्मीरी पंडितों का किस प्रकार से वध किया गया। लेकिन यह नहीं दिखाया गया कि मुसलमानों ने उन्हें किस तरह से बचाया। एक बैलेंस फिल्म बनानी चाहिए, जिससे समाज में नफरत और दुश्मनी न फैले। देश और समाज की एकता को बनाए रखना आवश्यक है। यह एक एजेंडा चलाया जा रहा है।
उन्होंने बलरामपुर के चर्चित जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा मामले पर कहा कि यह मामला प्रशासन का है। क्या अदालत में यह साबित होगा या नहीं, यह महत्वपूर्ण है। अगर कोई बिना लोभ लालच के प्रशासन को अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करने की सूचना देता है, तो वह कानून के अंतर्गत सही है। पहले आरोपों को सिद्ध होने दीजिए। यदि किसी ने कोई गैरकानूनी कार्य किया है, तो कानून के अनुसार उनका भी ट्रायल होना चाहिए।