क्या जहरीली हवा ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं? नोएडा-गाजियाबाद में एक्यूआई 400 पार
सारांश
Key Takeaways
- नोएडा और गाजियाबाद में एक्यूआई 400 के पार पहुँच गया है।
- प्रदूषण से निपटने के लिए नोएडा प्राधिकरण सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।
- विभिन्न क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है।
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, परंतु स्थिति चिंताजनक है।
- समाज को इस मुद्दे पर जागरूक करने की आवश्यकता है।
नोएडा, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली और समस्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर से लोगों की सांसें रोक दी हैं। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के ऊपर पहुँच चुका है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है।
इस स्तर पर वायु प्रदूषण न केवल स्वस्थ व्यक्तियों को प्रभावित करता है, बल्कि पहले से बीमार लोगों की स्थिति को भी और गंभीर बना सकता है। नोएडा में हालात विशेष रूप से चिंताजनक हैं। शहर के चारों सक्रिय मॉनिटरिंग स्टेशनों ने उच्च एक्यूआई स्तर दर्ज किए हैं।
नोएडा के सेक्टर-116 में एक्यूआई 439, सेक्टर-1 में 424, सेक्टर-125 में 424 और सेक्टर-62 में 347 दर्ज किया गया है। ग्रेटर नोएडा की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है, जहाँ नॉलेज पार्क-5 का एक्यूआई 442 और नॉलेज पार्क-3 का एक्यूआई 335 पाया गया।
गाजियाबाद के प्रदूषण स्तर ने भी चिंता में इजाफा किया है। लोनी में 443 तक पहुँच गया है, जो क्षेत्र का सबसे अधिक स्तर है। वहीं, इंदिरापुरम में 428, वसुंधरा में 429 और संजय नगर में 420 दर्ज किया गया।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी इस विषैला हवा से अछूती नहीं है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पूसा, आरके पुरम, रोहिणी, शादीपुर, सिरीफोर्ट, सोनिया विहार, श्री अरबिंदो मार्ग, विवेक विहार और वजीरपुर आदि में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' या 'बहुत खराब' श्रेणी में पाई गई है।
नोएडा प्राधिकरण का दावा है कि वे लगातार स्प्रिंकलर और अन्य साधनों से प्रदूषण को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। आयोग वायु गुणवत्ता प्रबंधन (सीएक्यूएम) की ओर से 14 अक्टूबर को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होने के बाद से प्राधिकरण ने मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। 19 नवंबर को, प्राधिकरण की 14 टीमों ने नोएडा क्षेत्र के विभिन्न सेक्टरों और गांवों में 95 स्थलों का निरीक्षण किया और लोगों को ग्रेप दिशा-निर्देशों व एनजीटी नियमों के पालन के प्रति जागरूक किया।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए 59 टैंकरों के माध्यम से 234.10 किलोमीटर लंबे मुख्य मार्गों पर शोधित जल का छिड़काव किया गया। इसके अतिरिक्त, 14 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों से 340 किलोमीटर सड़कों की सफाई की गई और 23 टैंकरों से पेड़-पौधों की धुलाई का कार्य किया गया। विभिन्न निर्माण स्थलों पर 88 एंटी-स्मॉग गन और 10 ट्रक माउंटेड एंटी-स्मॉग गन का भी उपयोग किया गया। साथ ही, 76.15 टन सी एंड डी वेस्ट (निर्माण और विध्वंस कचरे) का उठान और प्रसंस्करण किया गया।
प्राधिकरण की टीमें प्रतिदिन निर्माण स्थलों का निरीक्षण कर रही हैं और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई एवं जुर्माना लगाया जा रहा है। हालांकि, इन सभी दावों के बावजूद, हवा में घुली विषैला धुंध और एक्यूआई के खतरनाक स्तर यह साबित करते हैं कि स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए अभी और अधिक गंभीर और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।