क्या जन सुरक्षा विधेयक के जरिए सरकार जनता की आवाज दबा रही है? : विजय वडेट्टीवार

सारांश
Key Takeaways
- जन सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना है।
- कांग्रेस का इस विधेयक पर विरोध जारी है।
- सरकार का दावा है कि यह देश विरोधी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए जरूरी है।
- यह विधेयक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव डाल सकता है।
- सभी धर्मों के लिए समान दृष्टिकोण जरूरी है।
मुंबई, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने जन सुरक्षा विधेयक के पारित होने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे जनता की आवाज को दबाने और सरकार की नाकामियों को छिपाने का प्रयास बताया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस तरह के विधेयकों का हमेशा विरोध करेगी, क्योंकि यह जनता के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। यह विधेयक जन सुरक्षा के नाम पर लाया गया है, लेकिन इसका असली मकसद है उन लोगों को चुप कराना जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं।
कांग्रेस नेता ने यह भी सवाल उठाया कि यदि कोई कविता लिखता है, शिक्षा देता है या सरकार की नीतियों की आलोचना करता है, तो क्या उसे इस विधेयक के तहत दोषी ठहराया जाएगा? सरकार मौजूदा कानूनों का उपयोग करने के बजाय इस विधेयक के जरिए संविधान की रक्षा करने वालों को देशद्रोही ठहराना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का असली उद्देश्य मनुस्मृति को बढ़ावा देना है।
उन्होंने आगे कहा कि किसी विशेष धर्म को निशाना बनाना गलत है। वोट जुटाने और धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
विजय वडेट्टीवार ने सभी धर्मों के लिए समान दृष्टिकोण अपनाने की मांग की। यह विधेयक सरकार की असफलताओं को छिपाने और जनता के विरोध को कुचलने का एक हथकंडा है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे अपने हक के लिए आवाज उठाएं और ऐसे कानूनों का विरोध करें। कांग्रेस इस विधेयक के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करने को प्रतिबद्ध है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा ने गुरुवार को महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद, विशेषकर शहरी नक्सलवाद को नियंत्रित करना है।
सरकार का दावा है कि यह कानून देश विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों पर कार्रवाई के लिए आवश्यक है। विधेयक में गैर-जमानती अपराधों की श्रेणी और संगठनों को गैरकानूनी घोषित करने का प्रावधान शामिल है।