क्या लखीसराय सीट पर भाजपा की पकड़ मजबूत है, विपक्ष क्या रोक पाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- लखीसराय विधानसभा का गठन 1977 में हुआ।
- भाजपा ने इस सीट पर पांच बार जीत दर्ज की है।
- अशोकधाम मंदिर का धार्मिक महत्व है।
- विजय कुमार सिन्हा वर्तमान विधायक हैं।
- लखीसराय का ऐतिहासिक महत्व प्राचीन काल से है।
पटना, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लखीसराय विधानसभा सीट मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह विधानसभा क्षेत्र हलसी, बड़हिया और रामगढ़ चौक प्रखंडों को मिलाकर बना है।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र का गठन 1977 में हुआ था और यह मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में अब तक 11 चुनाव हो चुके हैं। भाजपा ने इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखा है, जहां उसने इस सीट को पांच बार जीता है। जनता पार्टी और जनता दल ने दो-दो बार जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस ने केवल 1980 में एक बार जीत दर्ज की थी। राजद ने अक्टूबर 2005 में यह सीट जीती, जिससे भाजपा की जीत का क्रम टूट गया।
2010 में भाजपा ने फिर से जीत हासिल की और तब से लगातार चुनाव जीतती आ रही है। वर्तमान में, विजय कुमार सिन्हा, जो बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं, इस सीट के विधायक हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अमरेश कुमार को हराया था। 2010 से, उन्होंने लगातार तीन बार लखीसराय सीट पर जीत दर्ज की है।
लखीसराय 1994 में मुंगेर जिले से अलग होकर एक स्वतंत्र जिला बना था। इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व बहुत पुराना है। पाल वंश के समय में यह एक प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र के रूप में स्थापित था। प्राचीन काल में लखीसराय को चट्टानों, पहाड़ों और प्राचीन देवताओं की मूर्तियों के कारण पहचाना जाता था। बुद्ध साहित्य में इसे 'अण्पुरी' के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है जिला। प्राचीनकाल में यह क्षेत्र मुंगेर या अंग देश के नाम से भी प्रसिद्ध था।
लखीसराय जिले में स्थित अशोकधाम मंदिर, जिसे इंद्रदेवन्स्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। 7 अप्रैल 1977 को एक बच्चे ने खेलते समय एक विशाल शिवलिंग की खोज की थी। इसके बाद 11 फरवरी 1993 को जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य ने मंदिर परिसर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन किया।