क्या मुख्यमंत्री बीमार हैं? प्रदेश लाचार है, बिहार में अपराध का तांडव!

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में अपराधों की स्थिति गंभीर है।
- मुख्यमंत्री की स्वास्थ्य स्थिति पर सवाल उठाए गए हैं।
- मतदाता सूची पुनरीक्षण में पारदर्शिता की कमी है।
- तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए।
- सरकार को नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
पटना, 13 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने रविवार को प्रदेश में बढ़ते अपराधों को लेकर नीतीश सरकार पर हमला बोला।
उन्होंने प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "ताजा अपराध! बेखौफ अपराधी! पटना में वकील को गोली मारी गई, वैशाली में लड़की की हत्या, परसा में शिक्षक की गोली मारकर हत्या की गई। मुख्यमंत्री बीमार, प्रदेश लाचार, बिहार में ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार!"
अपराधों के अलावा, तेजस्वी ने मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर भी सरकार और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। उन्होंने एक अन्य पोस्ट में मतदाता सूची पुनरीक्षण की कमियों के बारे में बताया।
उन्होंने लिखा, "किसी को पावती या रसीद नहीं दी जा रही है, जिससे मतदाता यह प्रमाणित नहीं कर पा रहा कि उसका फॉर्म स्वीकार हुआ या नहीं। न ही कोई ऐसा सिस्टम (एसएमएस, पोर्टल, हेल्पलाइन) है, जिससे मतदाता यह जान सकें कि उनका फॉर्म स्वीकार हुआ है या नहीं, दस्तावेज पूर्ण हैं या नहीं! पावती या फॉर्म स्टेटस की कोई ट्रैकिंग नहीं है। पावती नहीं देने, फॉर्म के बिना दस्तावेज अपलोडिंग, और एकतरफा अपलोडिंग की यह पूरी प्रक्रिया मतदाता के सूचित सहमति के अधिकार का उल्लंघन है।"
तेजस्वी ने कहा, "आयोग का हर बीएलओ द्वारा तीन बार संपर्क करने का दावा सिर्फ कागजी है। अधिकांश मतदाता तो ऐसे हैं जिनके पास बीएलओ आज तक नहीं पहुंचे। यह पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की मूल भावना के विरुद्ध है। बीएलओ को उच्चाधिकारियों द्वारा मौखिक आदेश दिए गए हैं कि किसी भी हाल में 25 जुलाई तक लक्ष्य पूरा करें। परिणामस्वरूप, बिना दस्तावेज के ही फॉर्म भरे जा रहे हैं।"
तेजस्वी ने कहा, "भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किए जा रहे दावे आत्मसंतुष्टि की बात हैं, लेकिन यह जनता के बीच पनप रही वास्तविक शंकाओं का समाधान नहीं करते। चुनाव आयोग की प्रेस विज्ञप्ति एक खतरनाक संकेत है।"