क्या राहुल गांधी के पिछले दस वर्षों के विदेश दौरों की जांच होनी चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के विदेश दौरे की जांच की मांग की गई है।
- बिना अनुमति के विदेश यात्रा करना अनुचित है।
- 1986 में भी ऐसे मामले में मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं।
- राजनीतिक हलकों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
- विदेश दौरों की पारदर्शिता पर जोर दिया जा रहा है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य सांसदों के विदेश दौरे को लेकर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कुछ अन्य सांसद बिना भारत सरकार की अनुमति के विदेश यात्रा कर रहे हैं, जो अनुचित है और इसकी जांच होनी चाहिए।
सांसद दुबे ने अपने आधिकारिक 'एक्स' खाते पर पोस्ट करते हुए कहा कि राहुल गांधी और अन्य सांसद जो विदेशों में अध्ययन भ्रमण (स्टडी टूर) के नाम पर यात्रा कर रहे हैं, वे सरकार को सूचित किए बिना ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस मामले की जानकारी लेने और उचित कार्रवाई की मांग की है।
निशिकांत दुबे ने एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 1986 में जब राजीव गांधी सरकार सत्ता में थी, तब बिना अनुमति के विदेश दौरे के कारण दो केंद्रीय मंत्री चंदूलाल चंद्राकर (राज्य मंत्री, ग्रामीण विकास) और केपी सिंह देव (राज्य मंत्री, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति) को इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय के इलेक्ट्रॉनिक्स आयोग के अध्यक्ष एमएस संजीवी राव को भी अपने पद से हटना पड़ा था।
उन्होंने कहा कि उस समय एक व्यक्ति रामस्वरूप पर आरोप लगाया गया था कि वह इन्हें चीन, ताइवान, कोरिया और हांगकांग का मुखबिर बनाकर देश के खिलाफ जासूसी करने के लिए प्रेरित कर रहा था। यह घटना उस समय के लिए बेहद गंभीर थी और इसे लेकर कड़ा रुख अपनाया गया था।
निशिकांत दुबे ने वर्तमान संदर्भ में राहुल गांधी के पिछले दस वर्षों के विदेश दौरे की भी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि बिना सरकार की अनुमति के विदेशी यात्राएं की जा रही हैं, तो यह देश की सुरक्षा और संवैधानिक नियमों के खिलाफ है। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को भी टैग किया है।
यह पोस्ट आते ही राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। विपक्षी दलों के बीच भी इस मामले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश दौरों की पारदर्शिता और अनुमति प्रक्रिया को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।