क्या राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री को एकता और समरसता का संदेश नहीं देना चाहिए?: आनंद दुबे

Click to start listening
क्या राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री को एकता और समरसता का संदेश नहीं देना चाहिए?: आनंद दुबे

सारांश

आनंद दुबे ने पीएम मोदी के राष्ट्रीय पर्व पर संदेश देने के तरीके पर विचार किया। क्या उन्हें एकता और समरसता का संदेश नहीं देना चाहिए? जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर उनकी राय।

Key Takeaways

  • राष्ट्रीय पर्व पर एकता और समरसता का संदेश महत्वपूर्ण है।
  • राजनीति के लिए अन्य दिन पर्याप्त हैं, राष्ट्रीय दिवस पर नहीं।
  • प्रधानमंत्री को गरिमा के साथ बोलना चाहिए।
  • विपक्ष और संघ की विचारधारा पर भी ध्यान देना चाहिए।
  • जमीनी मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है।

मुंबई, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। विपक्षी दलों ने संघ की विचारधारा को संविधान के खिलाफ बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर *निशाना* साधा। दूसरी ओर, भाजपा और आरएसएस ने संघ की *राष्ट्रसेवा* की भावना और राष्ट्र के निर्माण में इसके *ऐतिहासिक योगदान* को उजागर किया। इस संदर्भ में, शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने अपनी *प्रतिक्रिया* व्यक्त की।

उन्होंने राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा कि राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री को *एकता* और *समरसता* का संदेश देना चाहिए।

आनंद दुबे ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में *गरिमा* होनी चाहिए क्योंकि वे पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं, न कि किसी एक दल के। विपक्षी दल भी उनके लिए समान हैं। जब वे भाजपा के मंच पर होते हैं, तो पार्टी के नेता होते हैं, लेकिन लाल किले से प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र को संबोधित करते हैं। ऐसे अवसरों पर *राजनीति* नहीं होनी चाहिए। 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री को *भाईचारा*, *एकता* और *समरसता* का संदेश देना चाहिए। राजनीति के लिए वर्ष के अन्य दिन पर्याप्त हैं, लेकिन राष्ट्रीय दिवस पर राजनीति अनुचित है।

आनंद दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में विपक्ष ने सब कुछ सुना, यहां तक कि आरएसएस की प्रशंसा भी। उन्होंने कहा कि इसमें किसी को आपत्ति नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री स्वयं आरएसएस से जुड़े रहे हैं, इसलिए उनकी तारीफ करना स्वाभाविक है। आरएसएस एक राजनीतिक संगठन नहीं है, बल्कि *सामाजिक* और *सांस्कृतिक* संगठन है। लेकिन समस्या तब होती है जब प्रधानमंत्री देश के असली मुद्दों पर चुप रहते हैं। जनता ने अच्छे दिनों के लिए वोट दिया था, लेकिन आज भी सड़कों की हालत खराब है, पानी-बिजली की समस्या बनी हुई है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीएसटी सुधार वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा कि वे पिछले 11 साल से प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने कई बड़े वादे किए थे। पीएम मोदी ने हजारों बार अच्छे दिन लाने की बात कही, नौकरियां देने का वादा किया, लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया। विदेशों में छिपा काला धन लाने की बात भी की थी, जो संभव नहीं हुआ। उन्होंने पीओके लेने का दावा किया था, जो भी अधूरा रह गया। जीएसटी सुधारों को लेकर भी केवल आश्वासन ही मिलेगा, दीपावली तक उसे भी देख लेते हैं। दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री लंबे भाषण के दौरान बातें अच्छी करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनके वादों का असर दिखाई नहीं देता।

Point of View

जिससे समाज में समरसता बनी रहे। ऐसे अवसरों पर राजनीति से परे रहना चाहिए।
NationPress
17/08/2025

Frequently Asked Questions

आनंद दुबे ने किस विषय पर बात की?
आनंद दुबे ने राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश देने के तरीके पर बात की।
क्या पीएम मोदी को राजनीतिक बातें नहीं करनी चाहिए?
आनंद दुबे के अनुसार, राष्ट्रीय पर्व पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि एकता और समरसता का संदेश देना चाहिए।