क्या रूस और भारत के बीच साझेदारी समय के साथ गहरी हुई?
सारांश
Key Takeaways
- रूस और भारत के बीच संबंधों में गहराई आ रही है।
- पुतिन का दौरा ऐतिहासिक महत्व रखता है।
- इंडिगो की समस्याएं कुप्रबंधन से जुड़ी हैं।
- हिंदू समुदाय की मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग।
- भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूती मिलेगी।
मुंबई, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा ऐतिहासिक महत्व रखता है, ऐसा शिवसेना प्रवक्ता संजय निरुपम ने कहा है। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच की साझेदारी समय के साथ और भी मजबूत हुई है।
संजय निरुपम ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि व्लादिमीर पुतिन का यह दौरा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। भारत-रूस के बीच रिश्ते पिछले सात दशकों से खासकर रक्षा, व्यापार और ऊर्जा क्षेत्रों में स्थिर और मजबूत बने हुए हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करने की उम्मीद है। मोदी और पुतिन के बीच की बातचीत से रक्षा सहयोग और सुरक्षा प्रणालियों में नए समझौतों की संभावना है। यह दौरा भारत की रणनीतिक स्थिति और वैश्विक साझेदारियों को भी मजबूत करेगा।
इंडिगो की फ्लाइट्स के कैंसिल और लेट होने की घटनाओं पर संजय निरुपम ने कहा कि इंडिगो को हमेशा से भारत की बेहतरीन एयरलाइंस में से एक माना जाता था, लेकिन अब यह कुप्रबंधन से जूझ रही है। हाल ही में 500 फ्लाइट्स के कैंसिल होने का मुख्य कारण यही है कि स्टाफ की भर्ती सही मात्रा में नहीं की गई है। एविएशन सेक्टर में सफलता सर्वश्रेष्ठ सेवा से मिलती है, इसलिए इंडिगो को अपने प्रबंधन में सुधार करने की आवश्यकता है।
एक सवाल के जवाब में संजय निरुपम ने कहा कि लंबे समय से हिंदू समुदाय यह मांग कर रहा है कि अयोध्या, काशी और मथुरा के तीन प्रमुख मंदिरों को उनके मूल रूप में बहाल किया जाए। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है और अब काशी और मथुरा का मामला बाकी है। ऐतिहासिक रूप से इन स्थानों को हमलावरों ने नष्ट कर दिया था। मुस्लिम समुदाय के पास भी कई मस्जिदें हैं जिनकी सुरक्षा की आवश्यकता है। लेकिन काशी और मथुरा के मंदिरों का जीर्णोद्धार धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक न्याय का मामला है।