क्या सांसदों की गिरफ्तारी लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन है? - अनुराग ढांडा

सारांश
Key Takeaways
- इंडिया गठबंधन के सांसदों का विरोध प्रदर्शन
- मतदाता सूची के पुनरीक्षण की मांग
- अनुराग ढांडा का तानाशाह सरकार पर आरोप
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल
- लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण समय
नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इंडिया गठबंधन के सांसदों ने सोमवार को संसद से चुनाव आयोग कार्यालय तक मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और कथित 'वोट चोरी' के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। इस दौरान कुछ सांसदों को हिरासत में लिया गया। इस मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है।
इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अनुराग ढांडा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन बताया।
अनुराग ढांडा ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि एक तानाशाह सरकार किस तरीके से लोकतंत्र को चलाना चाहती है, आज उसका जीता जागता उदाहरण लोगों ने देखा। विपक्ष के लगभग सभी सांसद चुनाव आयोग के कार्यालय की तरफ जा रहे थे। लोकतंत्र में यह आयोग ईमानदार चुनाव की सीढ़ी है। यदि वहां सांसद जाकर कोई मुद्दा रखना चाहते हैं, मुझे नहीं लगता कि किसी लोकतांत्रिक देश में उन्हें वहां से उठाकर सलाखों के पीछे डाल दिया जाता होगा। जिस तरीके से पूरे विपक्ष के सांसदों को हिरासत में लिया गया, यह लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन है।
उन्होंने कहा कि सांसद साफ-सुथरी मतदाता सूची की मांग कर रहे थे और डिजिटल लिस्ट की मांग कर रहे हैं। एक तरफ भारत को डिजिटल इंडिया बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ यदि कोई डिजिटल वोटर लिस्ट मांगता है तो आपत्ति है। एसआईआर के तहत लाखों लोगों के वोट काट दिए जा रहे हैं। यह एक सेट पैटर्न है। चुनाव आयोग पूरी तरह से भाजपा की मदद कर रहा है। चुनाव आयोग को एक निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी जाती है।
अनुराग ढांडा ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की चयन प्रक्रिया में बदलाव कर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को बाहर किया गया, जिससे आयोग सरकार के इशारों पर काम कर रहा है। चुनाव आयोग को सरकार अपने पिठ्ठू की तरह इस्तेमाल करना चाहती है। यदि चुनाव आयोग हर प्रदेश में भाजपा की मदद करके सरकार बनाने का जिम्मा ले लेगा, तो लोकतंत्र पर सवाल उठाना वाजिब है। मतदाता सूची का सही होना जरूरी है। यदि इसमें चुनाव आयोग धांधली करता है, तो यह लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ है।