क्या सरकारी कैलेंडर में साईं बाबा का महानिर्वाण दिवस दर्ज होना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- श्री साईबाबा के महानिर्वाण दिवस का महत्व
- साईभक्तों का प्रयास
- सरकारी कैलेंडर में शामिल करने की मांग
- साईं बाबा की शिक्षाएं
- भक्तों की सामूहिक इच्छा
शिरडी, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्री साईबाबा के महानिर्वाण दिवस का अत्यधिक महत्व है। यह दिन देश-विदेश में फैले करोड़ों साईभक्तों के लिए सिर्फ एक स्मृति दिवस नहीं है, बल्कि श्रद्धा, सेवा और सद्भावना का संदेश देने वाला एक पावन अवसर है। इसी कारण, दिल्ली के साईभक्त जे. पी. सिसोदिया पिछले नौ वर्षों से इस प्रयास में लगे हुए हैं कि श्री साईबाबा के महानिर्वाण दिवस को भारत सरकार के सरकारी कैलेंडर में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाए।
सिसोदिया का कहना है कि जब देश के सभी महापुरुषों, संतों और राष्ट्रीय नेताओं की जयंती एवं पुण्यतिथियों का उल्लेख सरकारी कैलेंडर में किया जाता है, तो फिर करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक श्री साईबाबा के महानिर्वाण दिवस का उल्लेख क्यों नहीं होना चाहिए?
शिर्डी में राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए सिसोदिया ने कहा कि साईबाबा ने जात-पात, धर्म और संप्रदाय से परे उठकर मानवता और एकता का संदेश दिया है। उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को जीवन जीने की नई दिशा प्रदान करती हैं। इसलिए, सरकारी कैलेंडर में उनके महानिर्वाण दिवस का उल्लेख होना करोड़ों साईभक्तों की सामूहिक इच्छा है।
उन्होंने बताया कि इस मांग को लेकर उन्होंने कई बार केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री कार्यालय, संस्कृति मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार से भी निरंतर पत्राचार किया है।
सिसोदिया को पूरा विश्वास है कि सरकार जल्द ही इस भावनात्मक मांग पर सकारात्मक निर्णय लेगी और श्री साईबाबा के महानिर्वाण दिवस को सरकारी कैलेंडर में आधिकारिक मान्यता प्रदान करेगी।
ज्ञात रहे कि श्री साईबाबा का महानिर्वाण दिवस 15 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो 1918 विजयादशमी (दशहरा) का दिन था। बाबा ने इसी दिन अपने प्राण त्यागे थे और उनकी महासमाधि के उत्सव के रूप में यह दिन साईं भक्तों के लिए एक बड़ा त्योहार होता है। साईं बाबा ने स्वयं कहा था कि दशहरा का दिन उनके धरती से विदा होने का सबसे अच्छा दिन है।