क्या शिवसेना-यूबीटी ने राहुल गांधी का बचाव किया? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल उठाए

सारांश
Key Takeaways
- शिवसेना-यूबीटी ने राहुल गांधी का खुलकर समर्थन किया है।
- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल उठाए गए हैं।
- देशभक्ति की परिभाषा का दुरुपयोग हो रहा है।
- राजनीति में सवाल उठाना आवश्यक है।
- विपक्ष के नेताओं को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।
मुंबई, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राहुल गांधी को लेकर चल रहे राजनीतिक विवाद के बीच, शिवसेना-यूबीटी ने कांग्रेस सांसद का समर्थन किया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के संदर्भ में टिप्पणी की, जिसने एक नया विवाद उत्पन्न किया। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल लगातार इस टिप्पणी पर सवाल उठा रहे हैं। इसी क्रम में 'इंडिया' ब्लॉक की सहयोगी शिवसेना-यूबीटी ने कहा कि राहुल गांधी के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी चौंकाने वाली है।
शिवसेना-यूबीटी ने अपने मुखपत्र सामना में आरोप लगाया है कि देशभक्ति की परिभाषा का दुरुपयोग हो रहा है। पार्टी ने कहा है, "2014 के बाद देश में यह गलत परिभाषा आम हो गई है कि जो सरकार की 'हां में हां' मिलाता है वह देशभक्त है और जो सरकार पर सवाल उठाता है वो देशद्रोही है। इसी कसौटी के आधार पर केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार ने देशभक्ति का सर्टिफिकेट और देशद्रोही का ठप्पा लगाना शुरू कर दिया है।"
शिवसेना-यूबीटी ने 'सामना' के संपादकीय में राहुल गांधी का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पूरी टिप्पणी को उल्लेखित किया।
साथ ही, पार्टी ने प्रश्न उठाया, "क्या राहुल गांधी सच्चे भारतीय हैं या नहीं, यह अदालत के सामने कोई मुद्दा नहीं था। इसलिए, राहुल गांधी कितने 'सच्चे भारतीय' हैं या नहीं, इस पर अनावश्यक रूप से अपनी राय व्यक्त करके अदालत ने क्या हासिल किया? विपक्ष के नेता का यह कर्तव्य है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जनहित और राष्ट्रहित के मुद्दों पर सरकार से प्रश्न करें। अगर राहुल गांधी ने ऐसा किया तो इसमें क्या गलत था?"
'सामना' में आरोप लगाया गया है कि राहुल गांधी को संसद में बोलने नहीं दिया जाता। 2020 के बाद विपक्षी दलों ने कई बार संसद में चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाने की कोशिश की। 'राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे' को ढाल बनाकर हमेशा घुसपैठ के मामलों पर पर्दा डाल दिया गया है।
संपादकीय में चीन के संदर्भ में भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बयानों का भी उल्लेख किया गया है। शिवसेना-यूबीटी ने कहा, "सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी भी चीनी घुसपैठ पर अपनी ही सरकार की तीखी आलोचना करते रहते हैं। स्वामी ने अक्सर चीन पर लद्दाख में 4067 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि हड़पने का आरोप लगाया है। इस मामले में, उन्होंने सूचना के अधिकार का उपयोग करके सरकार से जानकारी मांगी, लेकिन सरकार ने जानकारी देने से इनकार कर दिया।"
पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा, "जब सुब्रह्मण्यम स्वामी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 4 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि निगल ली है, तब किसी को बदनामी नहीं होती, लेकिन जब राहुल गांधी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 2 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है, तब भावनाओं को ठेस पहुंचती है और बदनामी होती है। यह किस प्रकार की बात है?"
'सामना' के संपादकीय में अंत में लिखा गया है, "कुल मिलाकर, 2014 के बाद देश में झूठों के दिन आ गए हैं और सच बोलने और सरकार से सवाल करने वालों को 'भारत-विरोधी' माना जा रहा है। राहुल गांधी ने चीन पर भारत में घुसपैठ का आरोप लगाया है, यदि इस पर सुप्रीम कोर्ट के जहन में यह प्रश्न उठता है कि क्या वे 'सच्चे भारतीय' हैं, तो यह गंभीर बात है। क्या सुप्रीम कोर्ट चीनी घुसपैठ पर एक तथ्य-खोजी समिति का गठन करेगा?"