क्या उत्तर प्रदेश में सही तरीके से हो रहा है एसआईआर? अखिलेश यादव के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर प्रक्रिया सही तरीके से चल रही है।
- चुनाव आयोग ने सभी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है।
- अखिलेश यादव के आरोपों में राजनीतिक संदर्भ हैं।
- मतदाता सूची में डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है।
- जनता का ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक मुद्दों का उपयोग किया जा रहा है।
लखनऊ, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में चल रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया सामने आई है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश में एसआईआर प्रक्रिया सही तरीके से हो रही है।
आयोग ने बताया कि सभी अधिकारियों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यदि कहीं गणना फॉर्म नहीं पहुंचे या शिकायत मिली है, तो उसे गंभीरता से लेकर तुरंत फॉर्म वितरित किए जा रहे हैं। अब तक यूपी में 2 करोड़ से ज्यादा गणना फॉर्म जमा हो चुके हैं और उन्हें डिजिटाइज भी कर दिया गया है।
दरअसल, शनिवार को अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो व्यवस्था बनाई है, उसके अनुसार यदि काम नहीं होगा तो आपका फॉर्म रिजेक्ट हो जाएगा और वोट लिस्ट में आपका नाम भी नहीं आएगा। उनका कहना था कि एसडीएम और अन्य अधिकारी मानते हैं कि एसआईआर बिना तैयारी के हो रहा है।
अखिलेश ने आरोप लगाया कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को प्रशिक्षण नहीं मिला और बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) की भी ट्रेनिंग नहीं हुई। हमारे बीएलए तो गली-मोहल्लों में लोगों को पहचानते हैं, लेकिन बीएलओ किसी को नहीं जानते। बस एक जगह बैठकर फोन पर फॉर्म लेने के लिए कहते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के आंकड़े बता रहे हैं कि 99.48 प्रतिशत फॉर्म बांट दिए गए हैं, लेकिन वास्तव में कई लोगों को फॉर्म नहीं मिले। केवल कंप्यूटर पर डाल दिया गया कि फॉर्म बांट दिए गए। यह सब बीजेपी के इशारे पर हो रहा है।
अखिलेश ने बीजेपी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि मुद्दों में वे हार गए हैं। महंगाई बढ़ गई है, पेट्रोल-डीजल महंगा हो गया है, बिजली का बिल बढ़ गया है, दवाइयां नहीं हैं, इलाज नहीं है, मेडिकल कॉलेज नहीं चल रहे, सड़कें टूटी हुई हैं, एम्बुलेंस बेकार कर दी गई हैं, पुलिस भ्रष्ट हो गई है। अब जनता का ध्यान भटकाने के लिए एसआईआर में उलझाया जा रहा है।