क्या वामपंथी इतिहासकारों ने दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता और बलिदान को नजरअंदाज किया? - राजनाथ सिंह

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क्या वामपंथी इतिहासकारों ने दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता और बलिदान को नजरअंदाज किया? - राजनाथ सिंह

सारांश

क्या वामपंथी इतिहासकारों ने सच में दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता को नजरअंदाज किया? केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आइए जानते हैं ऊदा देवी और मदारी पासी जैसे नायकों की गाथाएँ, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Key Takeaways

  • दलित और पिछड़े समाज के नायकों का योगदान ऐतिहासिक महत्व का है।
  • राजनाथ सिंह ने इतिहास में विविधता की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • महिलाओं की भूमिका को आज़ादी की लड़ाई में मान्यता मिलनी चाहिए।
  • ऊदा देवी और मदारी पासी जैसे नायकों की गाथाएँ प्रेरणादायक हैं।

लखनऊ, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने अपने हितों के अनुसार इतिहास की व्याख्या की, जिसमें दलित और पिछड़े समाज के नायकों की वीरता और बलिदान को अनदेखा किया गया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को राजधानी में आयोजित शहीद वीरांगना ऊदा देवी के शहीदी दिवस पर एक कार्यक्रम में बात करते हुए उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।

उन्होंने आगे कहा कि दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के अनेक नायकों को इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया। इन नायकों को न केवल पढ़ाया जाना चाहिए था, बल्कि उनका सम्मान भी होना चाहिए था। यह दुखद है कि इतिहासकारों ने पासी साम्राज्य पर कोई पुस्तक नहीं लिखी। विद्वानों ने कभी इस वीर समुदाय के इतिहास पर शोध नहीं किया। पूर्व की सरकारों ने भी पासी साम्राज्य के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश नहीं की।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले की सरकारों ने पासी और दलित समाज के नायकों को उपयुक्त स्थान नहीं दिया। उन्होंने एकता आंदोलन में मदारी पासी के योगदान को याद किया, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाया। जब किसानों पर अत्यधिक लगान लगाया गया, तो मदारी पासी जी 'किसानों के मसीहा' बनकर उभरे। मैं मदारी पासी जी को भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

उन्होंने कहा कि ऐसे समुदाय जिन्होंने अपने पराक्रम, त्याग और संघर्ष से आजादी के आंदोलन को मजबूती प्रदान की, उन्हें इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया मानो यह केवल कुछ विशेष वर्गों ने लड़ा हो, जिससे यह भ्रम उत्पन्न हुआ कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कुछ गिने-चुने लोगों ने किया।

उन्होंने कहा कि भारत की हर बेटी ऊदा देवी बनकर देश की रक्षा कर सकती है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला पायलटों और सैनिकों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऊदा देवी ने अद्वितीय पराक्रम से न केवल अंग्रेजों को पराजित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि जब भारत की ओर कोई आंख उठाएगा, तो भारत की हर बेटी उसका डटकर सामना करेगी।

उन्होंने कहा कि ऊदा देवी के बलिदान ने हमें आत्म-सम्मान सिखाया है। 1857 की क्रांति में ऊदा देवी ने न केवल ब्रिटिश शासन को चुनौती दी, बल्कि उस सामाजिक व्यवस्था को भी चुनौती दी जिसने उनके समाज को सदियों तक हाशिए पर रखा।

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऊदा देवी ने यह सिद्ध किया कि देशभक्ति और वीरता किसी जाति या वर्ग की सीमाओं में नहीं बंधी होती। लखनऊ की लड़ाई में उन्होंने दिखाया कि स्वतंत्रता की ज्वाला हर दिल में जल सकती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ऊदा देवी की कहानी आज़ादी की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका को उजागर करती है। वे हमें याद दिलाती हैं कि महिलाएं भी युद्ध में लड़ सकती हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि ऊदा देवी को उनकी वीरता के लिए ही नहीं, बल्कि एक ऐसी लीडर के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने दलित समाज की महिलाओं को ब्रिटिश शासन के खिलाफ संगठित किया। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि सच्चा साहस वही है जो अन्याय और भेदभाव के खिलाफ खड़ा हो सके।

Point of View

NationPress
16/11/2025

Frequently Asked Questions

राजनाथ सिंह ने किस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए?
राजनाथ सिंह ने वामपंथी इतिहासकारों द्वारा दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता को नजरअंदाज करने पर अपने विचार व्यक्त किए।
ऊदा देवी का योगदान क्या था?
ऊदा देवी ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ अदम्य साहस का प्रदर्शन किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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