क्या वांगचुक की संस्था के खिलाफ कार्रवाई जायज है? एलजी कविंदर गुप्ता का बयान

सारांश
Key Takeaways
- लद्दाख में हालात सामान्य होने की उम्मीद।
- सोनम वांगचुक की संस्था के खिलाफ कार्रवाई।
- विदेशी अंशदान नियमावली का उल्लंघन।
- उपराज्यपाल का स्पष्ट संदेश।
- लद्दाख की परंपरा की सुरक्षा।
लेह, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लद्दाख में हाल में हुई हिंसक घटनाओं के बीच, केंद्र सरकार ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की संस्था का विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया है। इस कार्रवाई पर लद्दाख के उपराज्यपाल (एलजी) कविंदर गुप्ता ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।
कविंदर गुप्ता ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "स्थिति में सुधार हो रहा है और जल्द ही सब कुछ सामान्य होने की संभावना है। यहाँ के शैक्षणिक संस्थान अस्थायी रूप से बंद हैं और धारा 163 लागू की गई है। हमें विश्वास है कि एक-दो दिन में स्थिति सामान्य हो जाएगी। लद्दाख की परंपरा और वातावरण को बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।"
उन्होंने सोनम वांगचुक की संस्था के खिलाफ की गई कार्रवाई पर कहा, "यह कार्रवाई सबूतों के आधार पर की गई है और स्वाभाविक है कि ऐसे लोगों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी।"
उपराज्यपाल ने विदेशी शक्तियों के कथित हस्तक्षेप का उल्लेख करते हुए कहा, "कुछ नाम सामने आए हैं, जिनकी पुष्टि हो चुकी है और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जा रही है। जांच जारी है।"
उन्होंने कहा, "हम यही चाहते हैं कि लद्दाख में हालात फिर से सामान्य हों और जिंदगी पटरी पर लौटे। यदि कुछ लोग यहाँ के हालात को खराब करने की कोशिश करेंगे तो उनकी योजनाओं को नाकाम किया जाएगा।"
लद्दाख में हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द कर दिया। यह संस्था सोनम वांगचुक से जुड़ी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि एसईसीएमओएल (जिसे आगे 'एसोसिएशन' कहा गया है) को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण प्रमाणपत्र संख्या 152710012आर जारी किया गया था ताकि सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विदेशी अंशदान प्राप्त किया जा सके। इस एसोसिएशन को 20 अगस्त को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) स्पीड पोस्ट द्वारा भेजा गया था, जिसके बाद 10 सितंबर को ईमेल भेजी गई थी, जिसमें अधिनियम की धारा 14 के तहत संगठन के एफसीआरए पंजीकरण को रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए, इस बारे में कारण बताने को कहा गया था।